उज्जैन। कहते हैं आस्था और भक्ति में लीन व्यक्ति परम्पराओं को निभाते हुए अपने हर शुभ कार्य में अपने पूज्य देवी-देवताओं को पहले पूजता है। ऐसा ही कुछ नजारा रामघाट पर अंतिम शाही स्नान पर देखने को मिला। जयपुर से आए दंपति यहां अपने साथ भगवान लड्डू गोपाल और गन्नू भैया (श्री गणेश) को साथ लाए और सर्वप्रथम उन्हें स्नान करवाकर उनका शृंगार किया और फिर अपने साथ ले गए।
अंतिम शाही स्नान में जहां हर आम श्रद्धालु स्वयं या अपने परिवार के साथ शिप्रा के अमृत जल में स्नान कर पुण्य अर्जित करने में लगा हुआ था। वहीं जयपुर से आए दो दंपति यहां कुछ अलग ही करते हुए दिखाई दिए। जयपुर के वैशाली नगर में रहने वाली नीलम अपने पति पवन सोनी और सुनीता अपने पति नरेश सोनी के साथ तड़के 4 बजे रामघाट स्थित आरती द्वार पर पहुंची और यहां साधु-संतों के स्नान के बाद सुबह 6.30 बजे के लगभग अपने साथ सुसज्जित बास्केट में विराजित भगवान लड्डू गोपाल और गन्नू भैया (श्री गणेश) को शिप्रा में स्नान करवाने ले गए और उसके बाद उन्हें वस्त्र व गहने पहनाकर तैयार कर उनका पूजन-अर्चन किया। इसको लेकर जब नीलम सोनी से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि वह आज जो कुछ भी है भगवान लड्डू गोपाल और गन्नू भैया (श्री गणेश) की कृपा से है। इसलिए वे अपने सभी शुभ कार्यों में सर्वप्रथम उनकी ही पूजा-अर्चना करते हैं। इसलिए जब सिंहस्थ महापर्व के पावन अवसर पर शिप्रा के अमृत रूपी जल में स्नान करने का अवसर आया तो हमने सबसे पहले हमारे पूज्य भगवान को स्नान करवाया। हमारा आना तो केवल बहाना है यह तो सब भगवान लड्डू गोपाल और गन्नू भैया (श्री गणेश) की कृपा और आशीर्वाद का ही नतीजा है।