उज्जैन। सिंहस्थ 2016 ने अब तक जहां संतों को साधना और श्रद्धालुओं को शांति दी है, वहीं महू को युवा जुगाडू वैज्ञानिक दिया है। इस वैज्ञानिक का नाम है विजय चौधरी, जिसने पानी का ड्रम काटकर उसे न सिर्फ कूलर बना दिया, बल्कि महंगे कूलर खरीद पाने में अक्षम फौजी बाबा कैंप को हवा से ठंडा भी कर दिया। इसीलिए आश्रम के संतों ने इस कूलर को ही विजय कूलर नाम दे दिया है।
मंगलनाथ से उन्हेल रोड के बीच एक सड़क है जहां फौजी बाबा का आश्रम बना है। इस आश्रम में नीले रंग के ड्रम हैं, जो कूलर की तरह ठंडी हवा दे रहे हैं। इन्हें बनाया है 16 साल के विजय ने, जो अपने पिता के साथ दो साल से बिजली रिपेयरिंग और टेंट फिटिंग का काम कर रहा है। आश्रम में विजय के हाथ से बने ऐसे एक-दो या दस कुलर नहीं है, बल्कि 40 कूलर हैं जो करंट फैलने या पानी के लीकेज की संभावनाओं से दूर ठंडी हवा दे रहे हैं।
एक साथ 40 कूलर का आॅर्डर
फौजी बाबा आश्रम में टेंट भी चौधरी परिवार ने ही लगाया है। बाबा ने 40 कूलर की जरूरत जताई थी, हालांकि बाजार में कूलर की कीमत ज्यादा थी, उतना उनका बजट नहीं था। विजय का कूलर ‘जो वह महू से बनाकर लाया था’, देखकर गुरुजी ने कहा ऐसे ही कूलर बना दो। फिर क्या था, विजय को सब काम से मुक्त करके सिर्फ कूलर बनाने की जिम्मेदारी सौंप दी गई। तीन-चार दिन की मेहनत से उसने 40 कूलर तैयार कर दिए। कूलर पूरी तरह तैयार हुए भी नहीं थे कि सामने लगे खड़ेश्वरी आश्रम और इंदौर के कम्प्यूटर बाबा आश्रम से भी 50-50 कूलर की डिमांड आई। विजय ने बताया बना हुआ एक कूलर 1500-1600 रुपए का पड़ा है, जबकि उसकी साइज फुल है।
ऐसे किया ईजाद
विजय ने बताया कि वह दो महीने पहले घर में बैठा था। घर का कूलर चल नहीं रहा था। पास में छोटी मोटर और पंखे रखे थे। मैंने 10 लीटर का ड्रम काटा। उसमें मोटर व पंखा फीट किया। जरूरत की कुछ चीजें और लगार्इं। बिजली कनेक्शन किया तो वह चल पड़ा। शाम को पापा व अन्य मित्रों को दिखाया।
कूलर महंगे थे बाजार में इसीलिए बनवाया
बच्चा छोटा कूलर घर से लेकर आया था। हम मच्छर से परेशान थे और यह कूलर की हवा ले रहे थे। एक दिन मैंने इनसे कहा नए कूलर न खरीद पाएं, लेकिन ऐसे कूलर तो बना दो। फिर गुरुजी आए, उन्होंने 50 कूलर की डिमांड बता दी। इसके बाद विजय ने कूलर बनाना शुरू कर दिया।
-उमादास त्यागी, किश्तवाड़