दो तरह लोग होते हैं, एक वे जो भाग्य पर भरोसा करते हैं और दूसरे वे जो कर्म पर भरोसा करते हैं। भाग्य पर भरोसा करने वाले लोग हर परिणाम को भाग्य का ही फल मानते हैं। यदि आप भी भाग्य पर विश्वास करते हैं तो ये इन बातों का ध्यान रखें...
व्यक्तित्व: अपने व्यक्तित्व को ऐसे निखारें कि उस पर कर्म का प्रभाव दिखे। इस बात को समझें कि व्यक्तित्व पर कर्म का प्रभाव हमें रोशन करता है, जबकि भाग्यवाद इसे धुंधला बनाता है।
भाग्य: भाग्य कर्म से ही बनता है। हम जैसे काम करते हैं, वैसा ही हमारे भाग्य का निर्माण होता है।
परिणाम: कर्म पर विश्वास करने वालों के कामों के परिणाम का अनुमान लगाया सकता है। भाग्य पर विश्वास करने वाले लोगों के कर्मों के परिणाम का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।
गलतियां
हर असफलता किसी पुरानी चूक का परिणाम होती है। हम गलतियों से बचते जाएं या उन्हें समय पर सुधार लें। रामायण से ऐसे समझें भाग्य और कर्म की बातें रामायण के वनवास प्रसंग में देखिए, श्रीराम को वनवास हो चुका है। श्रीराम, सीता और लक्ष्मण तीनों वन के लिए रवाना हो चुके हैं। अभी तक राजा दशरथ इस पूरी घटना को नियति का खेल बता रहे थे। भाग्य का लिखा मान रहे थे।
श्रीराम के जाने के बाद जब वे अकेले कौशल्या के कक्ष में थे तो उन्हें अपनी गलतियां नजर आने लगी। युवावस्था में श्रवण कुमार की हत्या की थी, दशरथ को याद आ गया। बूढ़े मां-बाप से उनका एकलौता सहारा छिन लिया था। उसी का परिणाम है सब। हर परिणाम के पीछे कोई कर्म जरूर होता है। बिना कर्म हमारे जीवन में कोई परिणाम आ ही नहीं सकता। अपने कर्मों पर नजर रखें। तभी आप भाग्य को समझ सकेंगे।