सूर्य देव एकमात्र ऐसे देव है जो प्रत्यक्ष दिखाई देते है इसलिए सूर्य देव की आराधना घर में पूजा स्थल की जगह बाहर खुले में सूर्य देव के समक्ष करना अधिक फलदायी है । सूर्यदेव आराधना में सूर्यदेव को जल अर्पित करना सबसे अधिक महत्व रखता है। इसे हम सूर्य को अर्घ्य देना कहते है। सूर्यदेव को अर्ध्य देने हेतु सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें और जैसे ही सूर्य उदय होता है आप पूर्व दिशा की तरफ मुख करके खड़े हो जाएं। एक ताम्बे के पात्र में जल भरकर इसमें थोड़े चावल, थोड़ी चीनी, पुष्प डाले व कुमकुम द्वारा जल में छींटे लगाएं। अब आप सूर्य देव के सामने खड़े होकर ताम्बे के पात्र द्वारा दोनों हाथों से जल नीचे जमीन पर छोड़ते जाये। ध्यान दें, ताम्बे के पात्र को अपने सीने के सामने रखे और सूर्य देव को जल अर्पित करते हुए पात्र को कंधो से ऊपर तक ले जाने का प्रयास करें। पात्र द्वारा नीचे गिरने वाली जलधारा में सूर्य के प्रतिबिम्ब को देखने का प्रयास करें ।
सूर्य देव को अर्ध्य देते समय निरंतर सूर्यदेव के इस मंत्र का जप करते रहे : “ ॐ सूर्याय नमः ” । सूर्य देव को अर्घ्य देने के पश्चात् नीचे झुककर जल को स्पर्श करें और अंत में सीधे खड़े होकर हाथ जोड़कर सूर्यदेव को प्रणाम करें । सूर्य देव को जल अर्पित करने का सबसे उत्तम समय सूर्य उदय से लेकर इसके एक घंटे बाद तक होता है। इसलिए इस अवधि में ही सूर्यदेव को अर्ध्य देने का प्रयत्न करें।
रविवार का दिन सूर्य देव आराधना के लिए विशेष माना गया है, यदि समय का अभाव रहते आप नियमित सूर्यदेव को अर्घ्य नहीं दे पाते हैं तो रविवार के दिन सूर्य देव को अर्ध्य जरुर दें
सूर्य मन्त्र के जाप से होने वाले लाभ
रोग कैसा भी क्यों न हो सूर्य देव की विधिवत आराधना से रोग से मुक्ति मिलने लगती है ।
मानसिक व्याधियों (चिंता , तनाव, अवसाद, नकारात्मक सोच ) से मुक्ति मिलने लगती है। सूर्य देव की पूजा से जीवन में सकारात्मक उर्जा का संचार होने लगता है ।
सूर्य देव की पूजा से मन से अहंकार, हीन भावना, ईर्ष्या के भाव दूर होते हैं।
जन्म कुंडली में सूर्य दोष होने पर सूर्य देव की आराधना करना विशेष रूप से फलदायी माना गया है। ऐसे व्यक्ति को नियमित रूप से सूर्य देव की आराधना करनी चाहिए ।
सूर्य देव की आराधना से नौकरी में आई अड़चन दूर होती है व साथ ही नौकरी में पदौन्नति के अवसर प्राप्त होते है ।
जो व्यक्ति सम्पूर्ण जीवन सूर्य देव की आराधना करते हैं, उन्हें जल अर्पित करते हैं, उनके चहरे पर सैदव तेज रहता है। ऐसे व्यक्ति में दूसरों को अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता विकसित होने लगती है ।
सूर्य देव की नित्य अराधना करने वाला व्यक्ति स्वभाव से निडर और शरीर से बलवान बनता है ।