सावन का महीना शुरू हो गया है। यह महीना भगवान शिव को बहुत प्रिय है। सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से मनुष्य की सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। इस दौरान भगवान को कई तरह के फूल चढ़ाए जाते है और इनका फल भी आपको कई तरह से मिलता है। आइए जानते है शिव को कौन से फूल चढ़ाने से क्या प्राप्त होता है:
भगवान शिव को धतूरे का फूल अर्पित करने से पुत्र की प्राप्ति होती है।
> आकडे़ के फूल शिव को अर्पण करने से दीर्घ आयु की प्राप्ति होती है।
> एक लाख बिल्वपत्र अर्पित करने से हर इच्छित वस्तु की प्राप्ति होती है।
> दुपाहरिया के पुष्प से आभूषणों की प्राप्ति होती है।
> आंक अलसी और शमी पत्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यहां है सबसे ऊंचा नंदी
बेंगलुरु का बसवनगुडी इलाका, आज शहर के संभ्रात इलाकों में शामिल है, पर कभी बसवनगुडी इलाके में खेती होती थी। इसी बसवनगुडी इलाके में है अनूठा बुल टेंपल यानी भगवान शिव के वाहन नंदी का मंदिर। इस अनूठे मंदिर की कहानी भी अनूठी है। कभी बसवनगुडी इलाके में खेती खूब शानदार होती थी। तब इस इलाके का नाम सनकेनहल्ली हुआ करता था, पर इस इलाके के खेतों की फसलों को जानवर आए दिन खा जाया करते थे। जानवरों के हमले से किसान और जमींदार काफी परेशान थे। तब एक बार जमींदार को सपना आया कि अगर यहां एक नंदी का मंदिर बना दिया जाए तो जानवरों से फसलों की रक्षा हो सकेगी। डोडा बसवनगुडी यानी नंदी का यह मंदिर नंदी के आकार के लिहाज से विश्व का सबसे ऊंचा मंदिर माना जाता है। 1537 में इस मंदिर का निर्माण केंपे गोडा ने कराया था। इस मंदिर में विजय नगर साम्राज्य की वास्तुकला की झलक दिखती है। मंदिर का प्रवेश द्वार यानी गोपुरम द्रविड़ शैली में बना है। प्रवेश द्वार से आगे बढ़कर जब आप गर्भगृह में जाते हैं तो वहां विशाल नंदी की प्रतिमा है। यह प्रतिमा एकल पत्थर से बनाई गई है। नंदी प्रतिमा की ऊंचाई 15 फीट है, जबकि इसकी लंबाई 20 फीट के करीब है। वर्षों से चारकोल और तेल से लगातार घर्षण के कारण प्रतिमा काले रंग की दिखाई देती है। पहले नंदी की यह प्रतिमा खुले में थी, पर बाद में बीसवीं सदी में इसके ऊपर छत निर्माण कर इसे गर्भ गृह का रूप दिया गया।