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Astrology

जानिये क्यों खास है यह बुद्ध पूर्णिमा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 10 2017 1:22PM | Updated Date: May 10 2017 1:22PM
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आज वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि है। बुधवार को बुधादित्य योग के साथ ही गुरु-मंगल के नवम पंचम, गुरु-शुक्र का समसप्तक योग एवं शनि-मंगल का षड़ाष्टक योग बन रहा है। ये योग व्यापार में छप्पड़फाड़ लाभ के साथ ऋतु परिवर्तन कराएगा। 297 वर्ष उपरांत ग्रहों का दुर्लभ योग बन रहा है। इससे पूर्व ये संयोग 22 अप्रैल 1720 की वैशाख पूर्णिमा पर बना था। वैशाख पूर्णिमा पर सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में होने से पावन नदियों में स्नान, दान और पूजन का बहुत महत्व रहेगा। ग्रहों में परिवर्तन के साथ मानव जीवन भी प्रभावित होता है। मान्यता है की इस दिन किए गए पुण्य कार्य जन्म-जन्मांतर के पापों को नष्ट कर देते हैं। आज किसी भी नए कार्य का आरंभ और खरीदारी सौभाग्य सूचक रहेगी।

आज के दिन बहुत सारे लोग धर्मराज व्रत भी रखते हैं। नारद पुराण के अनुसार, ब्राह्मणों को दान करना शुभता प्रदान करता है। रात को फल-फूल, धूप, दीप, अन्न, गुड़, मिठाई आदि पदार्थों को एकत्रित कर चंद्रमा की पूजा करें व अर्घ्य दें। पूजन उपरांत जनेऊधारी ब्राह्मण को जल से भरा हुआ कुंभ दान स्वरूप दें। इसके साथ पकवान और स्वर्ण दान करने का भी महत्व है। इस प्रकार किए गए दान से दुखों से मुक्ति मिलती है।
 
करें खास उपाय
पितरों की प्रिय वस्तुओं का दान।
यम के निमित्त दान और पूजन।
लोहे की वस्तु का दान।
लक्षमीनारायण मंदिर में दीपदान।
जरूरतमंदों को धन व भोजन का दान।
 
कैसे मनाया जाता है ये पर्व
बोद्ध धर्म मानने वाले लोगों के लिए ये सबसे बड़ा पर्व होता है। अलग अलग देश में रह रहे बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए इस त्यौहार को मनाने के रीति-रिवाज़ भी अलग अलग है।
 
बुद्ध जयन्ती कहां, कैसे मनाई जाती है?
- इस पर्व के दिन घरों और मंदिरों में अगरबत्ती और दीपक जलाकर उस स्थान को प्रकाशितऔर सुगंधित बनाया जाता है1
- प्रात: काल उठकर भगवान बुद्ध के मंदिरों में निरंतर पाठ किया जाता है जिसे करने दुनियाभर से बौद्ध धर्म के अनुयायी आते हैं। इसके के साथ ही मंदिरों में फलों का चड़ावा भी होता है।
- इस शुभ दिन बौध वृक्ष की पूजा भी की जाती है और उस पर दूध चड़ाया जाता है।
- श्रीलंका में तो यह शुभ दिन 'वेसाक' के नाम से मनाया जाता है।
- बोधगया जैसे पावन तीर्थ स्थानों पर तो यह त्यौहार जोरों शोरों से मनाया जाता है। कहा जाता है कि जो इस दिन बोधगया के दर्शन करता है उसकी सारी मुरादें पूरी होती हैं।
 
इस दिन से जुड़ी कुछ खास बातें
- इस दिन का सबसे शुभ काम होता है पिंजरे में बंद पक्षियों को आज़ाद करना। यह दृश्य देखने लायक होता है।
- इसके अलावा इस दिन गरीबों में कपड़े और खाना बांटा जाता है।
- इस दिन कोई भी जना मासाहारी भोजन नहीं खाता।
- नई दिल्ली में इस शुभ पर्व पर बुद्ध भगवान की अस्थियों को निकाला जाता है ताकी बौद्ध धर्म के अनुयायी आके दर्शन कर सकें।
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