करीब 427 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है कि नवरात्र उत्सव में एक नवरात्र बढ़ा है, जबकि श्राद्ध कम हुआ है। जो विशेष रूप से भाग्यशाली है और नवरात्र उत्सव इस बार ज्यादा मंगलकारी होंगे। शारदीय नवरात्र इस बार एक अक्तूबर से शुरू हो रहा है। एक और दो अक्तूबर को दोनों दिन पहला नवरात्र है। इसका प्रभाव अति शुभ माना जा रहा है। देश के आर्थिक व राजनीतिक स्वरूप पर इसका प्रभाव सकारात्मक रहेगा। देश में अन्न उत्पादन अच्छा रहेगा तथा किसी प्रकार की महामारी या प्राकृतिक आपदा इस संवत में नहीं रहेगी। नवरात्र को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इस अवसर पर रवि की फसल लाभदायक होगी। व्यापार में शेयर बाजार, धातुओं के दाम तथा चावल रुई के दाम बढ़ने की संभावना है।
लोग नए घर का प्रवेश, दुकान, व्यापार व विवाह जैसे शुभ कार्य नवरात्र में करते हैं। वाहन खरीददारी भी काफी शुभ मानी जा रही है। संयोग के अनुसार पहला नवरात्र एक और दो अक्तूबर को मनाया जाएगा। इसके बाद नौ अक्तूबर को अष्टमी व 11 को दशहरे का पर्व मनाया जाएगा।
घट स्थापना
शनिवार सुबह 5 से 6 बजे के बीच में कभी भी किया जा सकता है। जौ उगाकर उसके बीच में कलश रखकर उसमें सुपारी, एक सिक्का, लौंग-इलायची, हल्दी की गांठ डालकर, उसके ऊपर नारियल रखकर घट स्थापन करवाएं।
पूजा की सामग्री
बतासे, लाल फूल, पान, लौंग इलायची, दूव, फल, नारियल, मावा शामिल है।
माता के नौ स्वरूपों के दस दिन होगी पूजा
नवरात्र के पहले व दूसरे दिन शैलपुत्री, तीसरे दिन ब्रह्मचारणी, चौथे दिन चन्द्रघंटा, पांचवे दिन कुष्मांडा, छठे दिन स्कंद माता, सातवें दिन कात्यानी, आठवें दिन कालरात्रि, नौवें दिन महागौरी, दसवें दिन सिद्धीदात्री की पूजा अर्चना की जाएगी।