पूजा-पाठ में शंख बजाने का चलन युगों-युगों से है। देश के कई भागों में लोग शंख को पूजाघर में रखते हैं और इसे नियमित रूप से बजाते हैं। ऐसे में यह उत्सुकता एकदम स्वाभाविक है कि शंख केवल पूजा-अर्चना में ही उपयोगी है या इसका सीधे तौर पर कुछ लाभ भी है।
धार्मिक कृत्यों में शंख का उपयोग किया जाता है। पूजा-आराधना, अनुष्ठान-साधना, आरती, महायज्ञ एवं तांत्रिक क्रियाओं के साथ शंख का वैज्ञानिक एवं आयुर्वेदिक महत्त्व भी है।
हिंदू मान्यता के अनुसार कोई भी पूजा, हवन, यज्ञ आदि शंख के उपयोग के बिना पूर्ण नहीं माना जाता है। कुछ साधनाओं में इसकी अनिवार्यता होती है। शंख साधक को उसकी इच्छित मनोकामना पूर्ण करने में सहायक होते हैं तथा जीवन को सुखमय बनाते हैं।
शंख को विजय, समृद्धि, सुख, यश, कीर्ति तथा लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। वैदिक अनुष्ठानों एवं तांत्रिक क्रियाओं में भी विभिन्न प्रकार के शंखों का प्रयोग किया जाता है।
शंख हर युग में लोगों को आकर्षित करते रहे है। देव स्थान से लेकर युद्ध भूमि तक, सतयुग से लेकर आज तक शंखों का अपना एक अलग महत्त्व है।
पूजा में इसकी ध्वनि जहां श्रद्धा व आस्था का भाव जगाती है वहीं युद्ध भूमि में जोश पैदा करती है। रण भूमि में शंखों का पहली बार उपयोग देव-असुर संग्राम में हुआ था।
शंखों कि ध्वनि के साथ युद्ध शुरू होता और उसी के साथ खत्म होता था। तभी से यह माना जाता है कि हर देवी-देवता का अपना एक अलग शंख होता है।
शंख रखने, बजाने व इसके इस्तेमाल करने से कई तरह के लाभ होते हैं। कई फायदे तो सीधे तौर पर सेहत से जुड़े हैं। जानते है पूजा में शंख बजाने और इसके इस्तेमाल से क्या-क्या फायदे होते हैं।
ऐसी मान्यता है कि जिस घर में शंख होता है, वहां लक्ष्मी का वास होता है। धार्मिक ग्रंथों में शंख को लक्ष्मी का भाई बताया गया है, क्योंकि लक्ष्मी की तरह शंख भी सागर से ही उत्पन्न हुआ है। शंख की गिनती समुद्र मंथन से निकले चौदह रत्नों में होती है।
पूजा-पाठ में शंख बजाने से वातावरण पवित्र होता है। जहां तक इसकी आवाज जाती है, इसे सुनकर लोगों के मन में सकारात्मक विचार पैदा होते हैं। अच्छे विचारों का फल भी स्वाभाविक रूप से बेहतर ही होता है।
ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि शंख में जल रखने और इसे छिड़कने से वातावरण शुद्ध होता है।
शंख की आवाज लोगों को पूजा-अर्चना के लिए प्रेरित करती है। ऐसी मान्यता है कि शंख की पूजा से कामनाएं पूरी होती हैं। इससे दुष्ट आत्माएं पास नहीं फटकती हैं।
वैज्ञानिकों का मानना है कि शंख की आवाज से वातावरण में मौजूद कई तरह के जीवाणुओं-कीटाणुओं का नाश हो जाता है। कई टेस्ट से इस तरह के नतीजे मिले हैं।
आयुर्वेद के मुताबिक, शंखोदक के भस्म के उपयोग से पेट की बीमारियां दूर होती हैं। हालांकि इसका उपयोग एक्सपर्ट की सलाह से ही किया जाना चाहिए।
शंख बजाने से फेफड़े का व्यायाम होता है। पुराणों में उल्लेख है कि अगर श्वास का रोगी नियमित तौर पर शंख बजाए, तो वह बीमारी से मुक्त हो सकता है।
शंख में रखे पानी का सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती हैं। शंख में कैल्शियम व गंधक के गुण होने की वजह से यह फायदेमंद है।
शंख में ऐसे कई गुण होते हैं, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।