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Astrology

मई में 23 दिन बजेगी शहनाई

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 28 2015 11:15AM | Updated Date: Apr 28 2015 11:15AM
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इस साल सबसे ज्यादा शादी के मुहूर्त मई माह में 31 में से 23 दिन रहेंगे। जबकि जून के शुरुआती 13 में से 12 दिन मुहूर्त हैं। इस माह 9 तारीख को मुहूर्त नहीं है। वहीं 13 जून के बाद विवाहों पर विराम लग जाएगा। इन 44 दिनों में इतनी शादियों के मुहूर्त होने से शहर की लगभग सभी धर्मशाला, मैरिज गार्डन सहित बैंड-बाजे, घोड़े-बग्घी तो बुक हैं ही, विवाह कराने वाले पंडितों ने भी एक ही दिन में कई आयोजनों के लिए समय दे रखा है। 
 
 
ये हैं कारण 
इस वर्ष 13 जून के बाद विवाह का कोई मुहूर्त नहीं है। वहीं 27 जुलाई से देवताओं का शयन होगा। जबकि बृहस्पति का तारा 12 अगस्त से अस्त होगा जो 27 नवंबर को उदित होगा। इस बीच 27 सितंबर से 12 अक्टूबर तक श्राद्ध पक्ष रहेगा। अगले साल सिंहस्थ है, जिसे लेकर कहा जाता है कि सिंहस्थ वर्ष में विवाह नहीं होते। 
 
मई में विवाह के मुहूर्त  
सर्वश्रेष्ठ - 2, 3, 7, 8, 9, 10, 11, 12, 19, 20, 25, 27, 28, 30 व 31
अन्य मुहूर्त - 1, 4, 5, 6, 14, 15, 24 व 29
 
जून में विवाह के मुहूर्त  
सर्वश्रेष्ठ - 3, 5, 11, 12, 13
अन्य - 1, 2, 4, 6, 7, 8, 10 

हर दिन 3 से 4 शादियां 
पं. बृजेश शास्त्री के अनुसार पूरे मई और जून के 13 दिन में विवाह के अधिक मुहूर्त होने से यजमानों ने पंडितों की बुकिंग करवा ली है। ऐसे में हर किसी के पास एक दिन में 3 से 4 विवाह करवाने की जिम्मेदारी होगी।
 
 
हर दिन के लिए बैंड की बुकिंग 
बैंड बाजा संचालक मोहसिन भाई ने बताया मई और जून में विवाह अधिक होने से हर दिन बैंड बाजे की बुकिंग है। हालांकि सामूहिक विवाह समारोह के बढ़ते चलन और शादियों में फिजूलखर्ची रोकने के प्रचार-प्रसार से बैंड बाजों की पूछपरख कम होती जा रही है। 
 
अगले साल दिक्कत
मप्र ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष आचार्य पं. रामचंद्र शर्मा वैदिक के अनुसार जुलाई अंत में देवताओं के शयन, अगस्त में बृहस्पति का तारा अस्त होने, सितंबर में श्राद्ध पक्ष होने और 2016 के सिंहस्थ वर्ष होने से हर कोई अपनों बच्चों के विवाह मई और जून में आए मुहूर्त में करवाना चाह रहा है। 
 
 
वर्तमान में सूर्य की उच्च राशि मेष में सूर्य है। वहीं बृहस्पति की उच्च राशि कर्क में गुरु है। ज्योतिषियों का मानना है मेष राशि का बृहस्पति उच्च राशि का होता है। कर्क राशि का बृहस्पति भी अपनी उच्च राशि का होता है। वहीं विवाह में वर के लिए सूर्य का बल देखा जाता है तथा कन्या के लिए गुरु का बल। इसके अलावा दोनों के लिए ही चंद्रमा का बल भी देखा जाता है। इस कारण कई लोग जन्म नाम, बोलचाल के नाम, कुंडली का नाम आदि से भी विवाह की तारीख निकलवा रहे हैं। 
 
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