24 Apr 2024, 23:34:39 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

राहु एक छाया ग्रह है, परंतु जन्म पत्रिका में यह जिस भाव स्थित होता है, उस स्थान को बेहद प्रभावित करता है। खासकर जब राहु की महादशा हो। यह पूरी तरह से शनि के तरह से फल देता है। राहु यदि अच्छा फल देने पर आता है तो वह एक फकीर को भी राजा बना देता है। लेकिन अगर यह बुरा फल देता है तो राजा को रंक बनाने में तनिक भी देर नहीं लगाता।
 
 
राहु जन समर्थन का प्रतिनिधित्व भी करता है। ज्यादातर नेताओं की कुंडली में राहु बलवान स्थिति में देखा जा सकता है। राहु के चलते कई बार जातक भ्रमित हो जाता है और उसकी स्थिति पूर्णत: असमंजस की हो जाती है। वह अच्छे-बुरे का विचार भी छोड़ देता है। राहु के दुष्प्रभाव से वशीभूत हो कर जातक की रूचि विपरीत कार्यों में हो जाती है राहु के विभिन्न भावों में होने के फल पर डालते हैं एक दृष्टि। 
 
 
>प्रथम भाव- विजयी, कृपण, वैरागी, गुस्सैल, कमजोर मस्तिष्क।
> द्वितीय भाव- द्वैष रखने वाला,झूठा, कड़वा बोलने वाला, मक्कार, धनवान।
 > तृतीय भाव- ताकतवर, अक्लमंद,उद्यमी, विवेकशील। 
> चतुर्थ भाव- मातृद्रोही, सुखहीन, झगड़े वाला।
> पंचम भाव- पुत्रवाला, सुखी, धनवान, कम अक्ल का।
> षष्ठ भाव- ताकतवर, धैर्यशली, शत्रुविजयी, कर्मठ।
> सप्तम भाव- अनेक विवाह, कपटी, व्यभिचारी, चतूर।
> आठवां भाव- लम्बी आयु परंतु कष्टकारी जीवन, गुप्त रोगी।
> नवां भाव- भाग्यहीन, यात्रा करने वाला, मेहनती।
> दसवा भाव- नीच कर्म करने वाला, नशाखोर,वाचा।
> एकादश भाव- चोकस, छोटे कार्य करने वाला, लालची।
> द्वादश भाव- पैसा लुटानेवाला, जल्दबाज, चिंता।
 
यह एक आम जानकारी है। ग्रह,नक्षत्र,लग्न, दृष्टि,भाव स्वामी,डिग्री सब जरूरी है सटीक फलित के लिए।
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