25 Apr 2024, 02:05:03 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

-शैलेंद्र जोशी
इंदौर। 22 नवंबर को देव प्रबोधिनी एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है, लेकिन देव जागरण द्वादशी में होगा। जब  सूर्यास्त के बाद तुलसी तथा भगवान सालिगराम का पूजन कर प्रतीकात्मक रूप से लग्न लगाकर शंख-घड़ियाल बजाकर देव जागरण किया जाएगा, तब तक द्वादशी तिथि लग जाएगी। वजह यह है कि 22 को एकादशी तिथि शाम 4.12 बजे तक ही है, इसके बाद द्वादशी शुरू हो जाएगी। ज्योतिर्मठ से जुड़े शंकराचार्य मठ के प्रभारी गिरीशानंदजी महाराज कहते हैं भगवान विष्णु के चार मास के शयनकाल के बाद देव जागरण का दिन परंपरा के अनुसार अबूझ या महामुहूर्त के रूप में माना जाता है। ऐसे में सर्वार्थ सिद्धि योग का मिलना ‘सोने में सुहागे’ की तरह है।

देवउत्थान एकादशी यानी देवउठनी ग्यारस 22 नवंबर रविवार को मनाई जाएगी। पंचांगों के मुताबिक एकादशी तिथि एक दिन पहले यानी 21 नवंबर को शाम 6.52 बजे शुरू हो जाएगी और उसके बाद पूरी रात समाहित रहकर दूसरे दिन 22 नवंबर को शाम 4.12 बजे तक रहेगी। महाराजश्री ने बताया उदयातिथि की मान्यता के अनुसार 22 नवंबर को देवप्रबोधिनी एकादशी मानी जा रही है। इसी दिन गोधूलि बेला में तुलसी विवाह और पूजन उपयुक्त होता है। इसके पूर्व जब चार मास के लिए भगवान विष्णु शयन करते हैं तब संसार का संचालन शिवजी करते हैं। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही शिवजी के पूजन का भी विशेष महत्व है।

सौदे और वाहन-संपत्ति खरीदी का योग
पंडित हेमंत तिवारी ने बताया जहां तक बात सर्वार्थ सिद्धि योग की है तो यह एकादशी को सुबह 6.49 से दोपहर 2.29 बजे तक मिल रहा है। इस तरह योग और पर्व के विशेष संयोग में कारोबारी सौदों के साथ ही नए प्रतिष्ठान की शुरुआत, वाहन, घर, इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण और सोने-चांदी के आभूषण खरीदने के लिए यह सर्वाधिक उपयुक्त समय होगा।

पंचांगों में अलग-अलग मत
पंचांगविद् पंडित मनोज व्यास के मुताबिक एकादशी और तुलसी विवाह को लेकर पंचांगों में अलग-अलग मत भी सामने आ रहे हैं। ज्यादातर पंचांगों में 22 नवंबर को ही एकादशी और तुलसी विवाह को उपयुक्त माना है, लेकिन कुछेक पंचांगों में 22 को तो एकादशी मानी है लेकिन तुलसी विवाह  23 नवंबर को दर्शाया है।

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