26 Apr 2024, 04:51:03 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

--शैलेंद्र जोशी
इंदौर। इस बार धनतेरस खास होगी, क्योंकि दो तिथियों त्रयोदशी और चतुर्दशी के संयोग के चलते इस दिन छह देवी-देवताओं का पूजन किया जाएगा। पंचांगों और पंडितों के अनुसार 9 नवंबर को धन के देवता कुबेर, समृद्धि की देवी महालक्ष्मी, आरोग्य के देवता धन्वंतरि, मृत्यु के देवता यम और हनुमान के साथ ही देवी काली का पूजन किया जाएगा। ज्योतिषाचार्य पंडित चंद्रभूषण व्यास ने बताया कि धनतेरस के दिन ही शाम को काली चौदस का स्पर्श हो जाएगा। चूंकि देवी काली का पूजन महानिशिता काल (अर्द्धरात्रि) में किया जाता है। इसलिए काली चतुर्दशी इसी रात को मनाना श्रेयस्कर होगा। काली पूजन बंगाली समाज में अत्यधिक प्रचलित है। साथ ही ये रात तंत्र-पूजन के लिए भी खास होगी, क्योंकि साधना सोमवार रात में शुरू होगी और मंगलवार तड़के चल चलेगी, मंगलवार को की जाने वाली साधना शीघ्र फल देने वाली मानी जाती है।
 

हनुमान पूजन भी अहम
श्रीराम भक्त हनुमान मंदिर सुभाष चौक के पुजारी पं. सुरेश कुमार दुबे ने बताया धनतेरस हनुमान पूजन के लिए भी बहुत अहम है। इस दिन अयोध्या स्थित हनुमान गढ़ी में हनुमान जयंती मनाने की परंपरा है, जबकि देश के अन्य हिस्सों में हनुमान जयंती चैत्रीय पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस दिन पैशाचिक और बुरी ताकतों से बचने के लिए गुजरात में बड़े स्तर पर हनुमानजी का विशेष पूजन किया जाता है।

इन छह देवी-देवताओं का होगा पूजन
महालक्ष्मी, कुबेर, धन्वंतरि, यम, हनुमान, काली।

तिथियां
त्रयोदशी शुरू - 8 नवंबर को शाम 4.31 बजे
त्रयोदशी समाप्त, चतुर्दशी शुरू - 9 नवंबर को शाम 7.06 बजे
चतुर्दशी समाप्त - 10 नवंबर को रात 9.23 बजे
 

धनतेरस पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त
शाम 6.05 से 7.06 बजे तक
प्रदोष काल- शाम 5.40 से रात 8.16 बजे तक
स्थिर लग्न (वृषभ काल) - शाम 6.05 से 8.04 बजे तक

धन-आरोग्य की प्राप्ति
पंडित हेमंत तिवारी ने बताया कि धनतेरस को धन-संपत्ति के लिए धन के देवता कुबेर और देवी महालक्ष्मी का पूजन किया जाएगा। साथ ही आरोग्य के देवता और आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि की जयंती मनाकर उनका पूजन किया जाएगा।

यम दीप से रहें सुरक्षित
पंडित बृजेश मुद्गल ने बताया मृत्यु के देवता यम को प्रसन्न रखने और परिवार को अकाल मृत्यु से बचाने के लिए घर की देहरी पर भगवान यम को स्मरण कर दीपक लगाने की परंपरा है। इसे यम दीपम् भी कहा जाता है।

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