29 Mar 2024, 21:14:03 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
Astrology

शारदीय नवरात्र का पहला दिन: पढि़ए- मां शैलपुत्री की कथा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 13 2015 10:04AM | Updated Date: Oct 13 2015 2:17PM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

आज नवरात्र का पहला दिन है। नवरात्र में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। यह मां पार्वती का ही अवतार है। दक्ष के यज्ञ में भगवान शिव का अपमान होने के बाद सती योगाग्नि में भस्म हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने हिमालय के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया। पर्वत की पुत्री होने के कारण उन्हें शैलपुत्री कहा जाता है।

मां शैलपुत्री की कथा
एक बार प्रजापति दक्ष ने एक बहुत बड़ा यज्ञ किया। इसमें उन्होंने सारे देवताओं को अपना-अपना यज्ञ-भाग प्राप्त करने के लिए निमंत्रित किया, किन्तु शंकरजी को उन्होंने इस यज्ञ में निमंत्रित नहीं किया। सती ने जब सुना कि उनके पिता एक अत्यंत विशाल यज्ञ का अनुष्ठान कर रहे हैं, तब वहां जाने के लिए उनका मन विकल हो उठा।

अपनी यह इच्छा उन्होंने शंकरजी को बताई। सारी बातों पर विचार करने के बाद उन्होंने कहा- प्रजापति दक्ष किसी कारणवश हमसे रुष्ट हैं। अपने यज्ञ में उन्होंने सारे देवताओं को निमंत्रित किया है। उनके यज्ञ-भाग भी उन्हें समर्पित किए हैं, किन्तु हमें जान-बूझकर नहीं बुलाया है। ऐसी स्थिति में तुम्हारा वहां जाना किसी प्रकार भी श्रेयस्कर नहीं होगा।'

शंकरजी के इस उपदेश से सती का प्रबोध नहीं हुआ। पिता का यज्ञ देखने, वहां जाकर माता और बहनों से मिलने की उनकी व्यग्रता किसी प्रकार भी कम न हो सकी। उनका प्रबल आग्रह देखकर भगवान शंकरजी ने उन्हें वहां जाने की अनुमति दे दी।

सती ने पिता के घर पहुंचकर देखा कि कोई भी उनसे आदर और प्रेम के साथ बात नहीं कर रहा है। सारे लोग मुंह फेरे हुए हैं। केवल उनकी माता ने स्नेह से उन्हें गले लगाया। बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास के भाव भरे हुए थे।

परिजनों के इस व्यवहार से उनके मन को बहुत ठेस पहुंची। उन्होंने यह भी देखा कि वहां चतुर्दिक भगवान शंकरजी के प्रति तिरस्कार का भाव भरा हुआ है। दक्ष ने उनके प्रति कुछ अपमानजनक वचन भी कहे। यह सब देखकर सती का मन क्षोभ और क्रोध से भर उठा। उन्होंने सोचा भगवान शंकरजी की बात न मान, यहां आकर मैंने बहुत बड़ी गलती की है।

वे अपने पति भगवान शंकर के इस अपमान को सह न सकीं। उन्होंने अपने उस रूप को तत्क्षण वहीं योगाग्नि द्वारा जलाकर भस्म कर दिया। वज्रपात के समान इस  दु:खद घटना को सुनकर शंकरजी ने क्रुद्ध हो अपने गणों को भेजकर दक्ष के उस यज्ञ का पूर्णत: विध्वंस करा दिया।

सती ने योगाग्नि द्वारा अपने शरीर को भस्म कर अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। इस बार वे 'शैलपुत्री' नाम से विख्यात हुर्ईं। पार्वती, हैमवती भी उन्हीं के नाम हैं। उपनिषद् की एक कथा के अनुसार इन्हीं ने हैमवती स्वरूप से देवताओं का गर्व-भंजन किया था।

नव दुर्गा नवरात्रि के विशेष दिन- 
1. नवरात्रि के पहले दिन : शैलपुत्री
2. नवरात्रि के दूसरे दिन:  ब्रहचारिणी
3. नवरात्रि के तीसरे दिन: चंद्रघंटा
4. नवरात्रि के चौथे दिन: कुष्मांडा
5. नवरात्रि के 5 वें दिन: स्कन्दमाता
6. नवरात्रि के छठे दिन : कात्यायनी
7. नवरात्रि के सातवें दिन दिवस:  कालरात्री
8. नवरात्रि के आठवें दिन: महागौरी
9. नवरात्रि के नौवें दिन: सिद्धिदात्री
 

  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »