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Astrology

आज से शुरू हुए शारदीय नवरात्र, घोडे़ पर होकर आएंगी माता

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 12 2015 5:01PM | Updated Date: Oct 13 2015 2:16PM
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आज से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो गए हैं। इस नवरात्र काफी कुछ खास होगा। सबसे खास बात यह है कि इस बार मां दुर्गा का आगमन घोड़े की सवारी से हो रहा है, जो लोगों का परेशानी का कारण बनेगा। वहीं मातारानी की विदाई पालकी में होगी जो काफी शुभ मानी जाती है। इससे लोगों को खुशियां मिलेंगी।

इस बार शारदीय नवरात्र दिन मंगलवार चित्रा नक्षत्र व वैधृति योग में 13 अक्टूबर से प्रारम्भ हो रहे हैं, जिससे अश्विन शुक्ल पक्ष भी प्रारंभ हो जाएगा। ज्योतिषों के अनुसार इस बार के नवरात्र बड़े ही फलदायी होंगे। इसलिए पूरे विधि विधान की जानकारी होना आवश्यक है।

कैसे बनेगा योग
ज्योतिषों के अनुसार नवरात्र में पूजा स्थल के ऊपर झंडा व दूध, शहद, बादाम, काजू का भोग नकारात्मक ऊर्जाओं का कोई कुप्रभाव नहीं होने देगा। कलश स्थापना पर कलश के मुख में पीपल के पत्ते भी इन नवरात्रों में रखना जीवन में सकारात्मक प्रभावों को बढ़ा देगा। वहीं, नवरात्र में मां की पूजा अर्चना करने के साथ ही धान बीजने से भी बहुत फल मिलता है।

घट स्थापना का होता है महत्व
किसी भी पूजा में घट स्थापन का अपना सर्वाधिक महत्व माना गया है। नवरात्र की पूजा प्रारंभ करने से पूर्व जल भरा पात्र पांचों तत्व, तीनों गुणों, सातों समुद्र, सप्त ऋषि, त्रिदेव सहित संपूर्णता का प्रतीक होता है। अत: पूर्ण परमात्मा का शुभ प्रभाव, कलश स्थापन से समस्त पूजा के फलों में आ जाता है।

यह भी है विशेष बात
ज्योतिषों के अनुसार नौ दिन, काल व ऋतु परिवर्तन के होते हैं। प्रकृति में इन दिनों भारी वायुमंडलीय परिवर्तन क्रमिक रूप से होते हैं और उनसे हमारा मन, मस्तिष्क और शरीर स्वस्थ रहे, इसके लिए सभी लोग सात्विक आहार- विहार अपनाते हैं और धार्मिक नियमों की पालना करते हैं। शरीर की बाहरी शुद्धि के लिए शुद्धता, पवित्रता से रहना, पवित्र वातावरण में पवित्र वस्तुओं से ही संपर्क रखा जाता है और आंतरिक शुद्धता के लिए दैवी शक्तियों के साथ साथ अपने ईष्ट की उपासना व साधना परम शक्तिशाली हो जाती है।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
कलश स्थापना का शुभ मुर्हूत ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 3 बजे से 6:15 बजे तक है। अमृत में सुबह 6 से 8 :24 तक, प्रथम बेला में सुबह 8:24 से 10:15 तक और अभिाजित में सुबह 11:36 से 12:24 तक कलश स्थापना किया जा सकता है।

घोड़े पर होगा देवी दुर्गा का आगमन
देवी दुर्गा का प्रमुख वाहन तो सिंह यानि शेर माना जाता है, लेकिन माता के अलग- अलग रूप हैं और उनके अलग- अलग वाहन भी हैं। इस वर्ष मंगलवार के दिन कलश स्थापना हो रही है, ऐसे में देवी दुर्गा का आगमन घोड़े पर हो रहा है।

विजयादशमी 22 अक्टूबर को गुरुवार का दिन है। शास्त्रों के अनुसार गुरुवार के दिन विजयादशमी होने पर माता डोली में सवार होकर वापस कैलाश की ओर प्रस्थान करती हैं। माता की विदाई डोली में होने के कारण महामारी, अकाल और भूकंप की आशंका रहेगी। हालांकि कई लोग इस विदाई को सकारात्मक भी मानते हैं। तर्क दिया जाता है कि चूंकि भगवती मनुष्य की सवारी डोली से जाती हैं, जो सुख और साख की वृद्धि करती है।

पूजा के लिए जरूरी सामग्री
माता रानी का फोटो, जिसमें माता शेर पर सवार हो दैत्यों का संहार करते हुए अभय मुद्रा में दिखें। इसके अलावा दुर्गा सप्तसती पाठ का किताब, मिट्टी का कलश, ढकना, रोड़ी-सिंदूर, मध रोली, अरवा चावल, अबीर, पंचरत्न, पंचामृत, पंचमेवा, मिश्री, चंदन, सुपारी, पानी वाला एक नारियल, नारियल ढकने के लिए लाल कपड़ा, बेलपत्र, ओढ़उल अपराजिता के फूल, आम का पल्लव, पान का पत्ता आदि।
 

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