हरितालिका तीज व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतिया को किया जाता है, पुराणों के हिसाब से यह व्रत सधवा, विधवा और कुआंरी लड़कियां कोई भी रख सकता है।
इस दिन लड़कियां और महिलाएं अपने होने वाली पति या पति की लंबी आयु के लिए निरजला ( बिना पानी के) व्रत रखती हैं। व्रत रखकर महिलाएं और लड़कियां पूरे 16 श्रृंगार करके भगवान भोलेनाथ और मात पार्वती की पूजा करती हैं। और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इसके लिए भगवान शंकर-पार्वती की बालू से मूर्ति बनाकर पूजा की जाती है और उनकी शादी की जाती है। अगर घर में संभव ना हो तो महिलाएं और लड़कियां मंदिर में जाकर माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं। इसके बाद मंगल गीतों से रात्रि जागरण किया जाता है।
कहते हैं मां पार्वती ने जंगल में जाकर भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कई सालों तक बिना पानी पिये लगातार तप किया था जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकारा था। तपस्या और निष्ठा का व्रत तपस्या और निष्ठा के साथ स्त्रियां यह व्रत रखती है वह बड़ा कठिन है । इसमे निष्ठावाली स्त्रियां जलतक नहीं ग्रहण करती । इस व्रत का खास तौर पर उत्तर भारत में विशेष मान है।कहते हैं इस व्रत को करने से सात जन्मों तक महिलाओं को उनके पति सात जन्मों तक मिलते हैं।
हरतालिका व्रत का पूजन मुहूर्त
पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और झारखंड में महिलाएं अखंड सुहाग की कामना के लिए हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं। इस व्रत में 24 घंटे निर्जल व्रत रखा जाता है। इस बार हरतालिका तीज का व्रत 17 सितंबर को रखा जा रहा है। तृतीया तिथि 15 सितंबर को शाम 5 बजकर 27 मिनट से लग रही है जो कि 16 सितंबर रात 8 बजकर 1 मिनट तक रहेगी। सुबह 4 बजे व्रत का आरंभ होता है। 17 सितंबर को हरतालिका व्रत की पहली पूजा का शुभ समय इस प्रकार है- प्रात:काल पूजन मुहूर्त- सुबह 06:29 से सुबह 08:55 बजे तक। अगर आप सुबह की पूजा किसी कारणवश न कर सकें तो प्रदोषकाल में भी पूजा कर सकती हैं, प्रदोषकाल में पूजा का शुभ मुहूर्त - शाम 18:37 से रात 20:01 बजे तक
कैसे रखें हरतालिका तीज व्रत?
ब्रह्म मुहूर्त में तिल और आंवले के चूर्ण से स्नान करें। प्रात: आटे और अबीर से रंगोली बनायें। नए वस्त्र पहन कर संकल्प करें कि आज आप तीज व्रत में शिव-पार्वती का पूजन करेंगी। सबसे पहले श्रीगणेश का आवाहन करें। फिर कलश स्थापना कर वरुण देव का पूजन करें। घंटा बजाकर नकारात्मक शक्तियों को घर से भगा दें और देवताओं का स्वागत करें। बालू या मिट्टी से शिव-पार्वती की प्रतिमा बनाकर उन्हें दूध, जल,दही, शहद और घी से स्नान करायें। ओम नम: शिवाय कहकर शिव-पार्वती को धूप दीप और नैवेद्य चढ़ायें। हरतालिका व्रत कथा कहें। इसी प्रकार शाम को फिर रात्रि में और फिर सुबह शिव-पार्वती का पूजन करें। हरतालिका व्रत में रात्रि जागरण का बहुत फल मिलता है।