29 Mar 2024, 19:03:53 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
Astrology

यह करवाचौथ पत्नियों के लिए लाया दुर्लभ संयोग, करे ये काम

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 17 2019 11:28AM | Updated Date: Oct 17 2019 11:28AM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी आज 17 अक्टूबर को करवाचौथ पर्व मनाया जाएगा, इसे कर्क चतुर्थी भी कहते हैं। इस दिन चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में रहेगा और रोहिणी नक्षत्र में उदय होगा। साथ ही वृषभ राशि में चन्द्रमा व वृश्चिक राशि में गुरु होने से गजकेसरी योग बन रहा है, जो कि सोने पर सुहागा होगा। रोहिणी नक्षत्र व मंगल का योग इस दिन को मंगलकारी बनाएंगे। चंद्रमा इस त्योहार देवता है और इस समय इसका सर्वोच्च स्थिति में होना दुर्लभ संयोग है जो कई वर्षो में आता है।
 
ऐसे समय की गई पूजा प्रार्थना कई गुना फल देती है। सत्यभामा और मार्कण्डेय योग का भी संयोग इस दिन रहेगा, जो शुभ फलदायी है। यह योग 70 साल बाद बन रहा है। यह शुभ संयोग श्रीकृष्ण व सत्यभामा के मिलन के समय और उसके बाद कभी-कभी बनता रहा है। पति की लंबी आयु की कामना के साथ किए जाने वाले करवा चौथ व्रत की महिलाओं ने तैयारियां शुरू कर दी है।
 
इस दिन वे निर्जला व्रत रखकर पूजा-अर्चना करेंगी। ज्योतिर्विद पं. सोमेश्वर जोशी अनुसार गुरुवार को सुबह 6.48 से चतुर्थी तिथी प्रारंभ हो जाएगी जो अगले दिन सुबह 7.48 तक रहेगी। चूंकि करवा चौथ व्रत में चंद्रोदय व्यापिनी तिथि का महत्व है, इसलिए शाम को चंद्रोदय के समय चतुर्थी में पूजा करना श्रेष्ठ होता है। इस दिन सुबह सूर्योदय से चन्द्रमा व गुरू का गजकेसरी योग शुरू होगा, जो दिन भर रहेगा।
 
महिलाएं निर्जला रहकर करेंगी पति की लंबी आयु की कामना- करवाचौथ पूजा का शुभ मुहूर्त-पूजा का समय शाम 7.54 बजे से 9.51 बजे तक (वृषभ लग्न में)। चंद्रोदय का स्टैंडर्ड टाइम रात 8 बजकर 40 मिनट अलग-अलग शहरों में चंद्रोदय का समय भिन्न होगा। पं. जोशी ने बताया कि इस बार करवा चौथ पर रात 8.40 पर चंद्रोदय रोहिणी नक्षत्र में होगा।
 
ज्योतिषशास्त्र में जो 27 नक्षत्र चद्रमा की पत्नियां बताए गए हैं, इनमें से रोहिणी चंद्रमा की सबसे प्रिय पत्नी है। रोहिणी नक्षत्र में चंद्रोदय होने से पति-पत्नी में प्रेम बढ़ेगा और सुख-समृद्धि बढ़ेगी। महिलाएं इस दिन शिव-पार्वती, कार्तिकेय व भगवान श्रीगणेश की स्थापना करें। पूजन स्थान पर मिट्टी का करवा भी रखें। चंद्रमा उदय हो जाए तो चंद्रमा का पूजन कर अर्घ दें। पति के चरण छुएं व उनके मस्तक पर तिलक लगाएं। सास को अपना करवा भेंट कर आशीर्वाद लें।
 
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »