आज देशभर में दशहरा मनाया जाएगा। असत्य पर सत्य की जीत का पर्व है दशहरा... इस दिन रावण का वध कर यह संदेश दिया जाता है कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हो, अच्छाई के सामने ज्यादा दिनों तक टिक नहीं सकती।
जैन शास्त्रों के अनुसार रावण के दस सिर नहीं थे बल्कि वह दस सिर होने का भ्रम पैदा कर देता था इसी कारण लोग उसे ‘दशानन’ कहते थे। जैन शास्त्रों में उल्लेख है कि रावण के गले में बड़ी-बड़ी गोलाकार नौ मणियां होती थीं। उक्त नौ मणियों में उसका सिर दिखाई देता था जिसके कारण उसके दस सिर होने का भ्रम होता था। मान्यता अनुसार रावण कभी भी उस मणि को अपने से अलग नहीं करता था, इसी वजह से लोगों को लगता था कि रावण के दस सिर है। उस समय लंका के लोगों के मन में इस वजह से भी रावण को लेकर बहुत भय था।
हिंदू धर्म में दशहरे के पर्व को बहुत ही खास माना जाता हैं, वही नौ दिन मां दुर्गा को समर्पित करने के बाद दशमी के दिन बुराई पर जीत के रूप में विजयदशमी का पर्व मनाया जाता हैं इस दिन प्रभु श्रीराम ने लंका के राजा रावण का वध करके अन्याय पर न्या की स्थापना की थी। वही इसके अलावा इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार भी किया था। इसलिए भी इसे विजयदशमी के रूप में मनाया जाता हैं।
बता दें, कि दशहरा संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना हैं दश यानी बुराई और हरा यानी की खत्म करना, इस तरह दशहरे का मतलब हुआ बुराई का नाश करके अच्छाई की पुर्नस्थापना करना। विजयदशमी साल के श्रेष्ठ मुहूर्त बसंत पंचमी और अक्षय तृतीया की तरह ही शुभ माना जाता हैं।
विजयदशमी के दिन कोई भी अनुबंध हस्ताक्षर करना हो गृह प्रवेश करना हो, नया व्यापार आरंभ करना हो या किसी भी तरह का लेनदेने का कार्य करना हो, तो उसके लिए श्रेष्ठ फलदाई माना जाता हैं दशहरे का त्योहार साल के सबसे पवित्र और शुभ दिनों में से एक माना गया हैं।
यह तीन शुभ मुहूर्त में से एक हैं, साल का सबसे शुभ मुहूर्त - चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, अश्विन शुक्ल दशमी, वैशाख शुक्ल तृतीया। यह अवधि किसी भी चीज की शुरूआत करने के लिए उत्तम हैं दशहरा बौद्ध धर्म के लिए भी बहुत महत्व रखता हैं, ऐसा माना जाता हैं कि इसी दिन से मौर्य शासन की शुरुआत हुई थी और अशोक ने अंहिसा को त्याग कर बौद्ध धर्म अपना लिया था।