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Astrology

इस मंत्र के उच्चारण से रावण ने किया था महादेव को वरदान देने पर मजबूर

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 7 2019 1:05AM | Updated Date: Oct 7 2019 1:06AM
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दशानन राव़ण महादेव का प्रिय भक्त था। उसने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवतांडव स्तोत्र की रचना की थी। वह स्तोत्र मंत्र जिसके उच्चारण से भगवान शिव साक्षात् प्रकट हुए और दशानन राव़ण (Ravana) को मनचाहा वरदान दिया। शास्त्रों में ऐसा वर्णन मिलता है कि शिवतांडव स्तोत्र के विधिवत उच्चारण से भगवान शिव शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं। शास्त्रों में शिव तांडव स्तोत्र महिमा का वर्णन मिलता है। शिव ताण्डव स्तोत्र (शिवताण्डवस्तोत्रम्) परम शिवभक्त लंकापति दशानन राव़ण द्वारा गाया भगवान शिव का स्तोत्र है।
 
मान्यता है कि एक बार दशानन राव़ण ने अपना बल दिखाने के लिए कैलाश पर्वत ही उठा लिया था। और जब वह पूरे पर्वत को ही लंका ले जाने लगा तो उसका अहंकार तोड़ने के लिए भोलेनाथ ने अपने पैर के अंगूठे मात्र से कैलाश को दबाकर उसे स्थिर कर दिया। इससे दशानन राव़ण का हाथ पर्वत के नीचे दब गया और वह दर्द से चिल्ला उठा- ‘शंकर शंकर’- जिसका मतलब था क्षमा करिए, क्षमा करिए और वह महादेव की स्तुति करने लगा। इस स्तुति को ही शिव तांडव स्तोत्र कहते हैं। बताया जाता है कि इस स्तोत्र से खुश होकर ही शिव ने लंकापति को ‘दशानन राव़ण’ नाम दिया था।
 
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