घरों और मंदिरों में पूजा के बाद पंडित जी हमारी कलाई पर लाल रंग का कलावा या मौली बांधते हैं। हम में से बहुत से लोग बिना इसकी जरुरत को पहचाते हुए इसे हाथों में बंधवा लेते हैं। नवरात्रि के दिनों में माता के नौ रूपो की पूजा की जाती हैं। नवरात्रि में 9 दिन माँ दुर्गा की पूजा बड़े धूम धाम से की जाती है। नवरात्रि में या हर पूजा के दौरान आपने देखा होगा कि हाथ में कलावा बांधते है। आम भाषा में इसे मौली कहते है। ज्योतिषों के अनुसार, पूजा के दौरान कलावा बांधना शुभ होता है।
लेकिन इसको बांधने के कई नियम भी होते है। ये कलावा तीन धागों से मिलकर बना हुआ होता है। कलावा सूत का बना हुआ ही होना चाहिए। इसमे लाल पीले और हरे या सफेद रंग के धागे होते हैं। यह तीन धागे त्रिशक्तियों (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) के प्रतीक माने जाते हैं। इसे मन्त्रों के साथ ही बांधना चाहिए। हिंदू धर्म में कलावा को रक्षासूत्र के रुप में माना जाता है।
एक बार बांधा हुआ कलावा एक सप्ताह में बदल देना चाहिए। पुराने कलावे को वृक्ष के नीच रख देना चाहिए या मिटटी में दबा देना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि जो कोई भी विधि विधान से रक्षा सूत्र या कलावा धारण करता है उसकी हर प्रकार के अनिष्टों से रक्षा होती है। ज्योतिषों के मुताबिक, कलावा धारण करने से लाभ होता है।