सावन का महीना अब खत्म हो चुका है...सावन का कल आखिरी सोमवार था। वही यह महीना भगवान भोलेनाथ का प्रिय महीना होता हैं सावन के महीने में चारों ओर हरियाली रहती हैं और प्रकृति की सौंदर्यता भी बरकरार रहती हैं वही हिंदू धर्म शास्त्रों में महिलाओं को भी प्रकृति का रूप माना जाता हैं।
इस मौसम में चारों ओर बारिश की बूंदों से हरियाली खिल उठती हैं वही ऐसे में प्रकृति से एकाकार होने के लिए महिलाएं भी मेंहदी लगाती हैं मेंहदी लगाने का प्रचलन सदियों पुराना हैं। मेंहदी का उपयोग पूजा के दौरान भी किया जाता हैं मेंहदी धार्मिक के साथ साथ सेहत के लिए भी बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती हैं बारिश के मौसम में कई तरह की बीमारियां फैलती हैं और हरे रंग को आयुर्वेद में कई रोगों की रोक थाम में कारगर माना जाता हैं मेंही की खुशबू और उसकी ठंडक तनाव को खत्म करती हैं यही कारण हैं कि मेंहदी लगाने को काफी महत्वपूर्ण माना जाता हैं। वही मेंहदी की तासीर ठंडी होने के कारण इसका उपयोग शरीर में बढ़ी हुई गर्मी को कम करने के लिए किया जाता हैं।
हाथों और पैरों के तलवों में मेंहदी लगाने से शरीर की गर्मी कम हो जाती हैं। मेंहदी में कई औषधीय गुण मौजूद होते हैं मेंहदी की शीतलता के कारण तनाव, सिरदर्द और बुखार से राहत प्राप्त होती हैं मेंहदी का प्रयोग करने से कई त्वचा संबंधित बीमारियां समाप्त हो जाती हैं। वही सावन में कई तीज त्योहार मनाए जाते हैं और महिलाओं के व्रत उपवास और तरह तरह के पूजा पाठ शुरू हो जाते हैं इस माह में पूजा पाठ करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं और साथ ही घर में यश और वैभव भी बढ़ जाता हैं।