रुद्राभिषेक में रूद्र पाठ अर्थात शुक्ल यजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्याई के पाठ के साथ-साथ भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। शिवलिंग पर किए गए अभिषेक से अनेक मानवीय समस्याओं का समाधान प्राप्त हो जाता है।
जल के अतिरिक्त कतिपय विशिष्ट मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु विशेष द्रव्यों का अभिषेक में प्रयोग होता है-
* जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है।
* असाध्य रोगों को शांत करने के लिए कुशोदक से रुद्राभिषेक करें।
* भवन-वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करें।
* लक्ष्मी प्राप्ति के लिये गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें।
* धन-वृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें।
* तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
* इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है । राहु के दोष भी दूर होते हैं ।
* पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करें।
* रुद्राभिषेक से योग्य तथा विद्वान संतान की प्राप्ति होती है।
* ज्वर की शांति हेतु शीतल जल/गंगाजल से रुद्राभिषेक करें।
* घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है।
* प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेक से हो जाती है।
* शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने पर जडबुद्धि दूर होती है।
* सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है।
* शहद के द्वारा अभिषेक करने पर यक्ष्मा (तपेदिक) दूर हो जाती है।
* गो दुग्ध से तथा शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है।
* पुत्र की कामनावाले व्यक्ति शक्कर मिश्रित जल से अभिषेक करें।
सोमवार, प्रदोष और श्रावण मास आदि पर्व के दिनों में गोदुग्ध से भी अभिषेक किया जाता है। विशेष पूजा में दूध, दही, घृत, शहद और चीनी से अलग-अलग अथवा सब को मिला कर पंचामृत से अभिषेक करने से भोलेनाथ की प्रसन्नता होती है तथा मनोकामनाओं की सहज पूर्ति होती है।
ज्योतिर्विद राजेश साहनी