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Astrology

अद्भुत है उज्जैन नगरी के महाकाल

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 23 2019 2:49AM | Updated Date: Jul 23 2019 2:49AM
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मान्यता है कि आकाश में तारक लिंग, पाताल में हाटकेश्वर लिंग और पृथ्वी पर महाकालेश्वर से बढ़कर अन्य कोई ज्योतिर्लिंग नहीं है। 
इसलिए महाकालेश्वर को पृथ्वी का अधिपति भी माना जाता है...
यह एक दक्षिणमुखी ज्‍योतिर्लिंग है..
खगोल-शास्त्रियों की मान्यता है कि उज्जैन नगर पृथ्वी और आकाश के मध्य में स्थित है।
महाकाल को कालजयी मानकर उन्हें काल का देवता माना जाता है..इन कारणों से इसे भारत का ग्रीनविच कहा गया है।
पुराणों में भी उज्जैन को पृथ्वी का नाभि क्षेत्र माना गया है.. जिस प्रकार शरीर के ठीक मध्य में स्थित नाभि शारीरिक संतुलन एवं पोषक तत्वों का संचालन करती है, ठीक उसी प्रकार पृथ्वी के ठीक मध्य में स्थित उज्जैन एवं उसकी नाभि में स्थित कालजयी महाकाल कालगणना का केंद्र बिंदु माने गए हैं। 
यही कारण है कि महाकाल आज भी ऊर्जा का प्रशस्त केंद्र है जिसे वहां जाकर महसूस किया जा सकता है।
मेरी समझ में पृथ्वी की नाभि में महाकाल की स्थापना का रहस्य भी यही है, कालगणनाओं के प्रतीक को साकार रूप देते हुए उसे महाकाल के रूप में प्रतिष्ठित किया जाना..
ज्योतिर विद् राजेश सहानी
 
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