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Astrology

13 मार्च से लग रहा है होलाष्टक, भूलकर भी ना करें शुभ कार्य

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Mar 8 2019 4:46PM | Updated Date: Mar 8 2019 4:46PM
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नई दिल्ली। होलिका दहन से आठ दिन पूर्व से होलाष्टक प्रारंभ होता है। हिंदू शास्त्रीय मान्यता के अनुसार होलाष्टक के आठ दिन अशुभ माने गए हैं इसलिए इनमें किसी भी शुभ कार्य का प्रारंभ नहीं किया जाता है। इस बार होलाष्टक 13 मार्च को रात्रि 12.02 बजे से लग रहे हैं जो होलिका दहन के दिन 20 मार्च तक चलेंगे।
 
माना जाता है कि होलाष्टक में शुरू किए गए शुभ कार्यों के सफल होने में संदेह रहता है। इन आठ दिनों में नया भूमि, भवन खरीदना, गृह निर्माण प्रारंभ करना, सगाई-वैवाहिक कार्य करने, नया वाहन खरीदने जैसे कार्य नहीं किए जाते हैं। इन दिनों में जो कार्य प्रारंभ किए जाते हैं वे पीड़ा देते हैं। इन दिनों में गर्भवती स्त्रियों के बाहर निकलने पर भी प्रतिबंध लगाया जाता है खासकर दूसरे शहर में नहीं जाने दिया जाता है। यदि गर्भवती स्त्री होलाष्टक के दिनों में नदी-नाले पार करके यात्रा करती है तो उसके गर्भस्थ शिशु को कष्ट होता है।
 
होलाष्टक क्यों है अशुभ
होलाष्टक के आठ दिन को किसी भी शुभ कार्य के लिए अशुभ माना जाता है। इसके पीछे भक्त प्रहलाद और हिरण्यकश्यप की कहानी जुड़ी हुई है। मान्यताओं के अनुसार होली से आठ दिन पहले हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद की विष्णु भक्ति से क्रोधित होकर उसे भयंकर यातनाएं दी थी। तभी से इन आठ दिनों को अशुभ माना जाता है। दूसरी मान्यता वैदिक ज्योतिष से जुड़ी हुई है। माना जाता है कि इन आठ दिनों में ग्रह अपना स्थान बदलते हैं इसलिए होलाष्टक के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है।

तंत्र कार्य रहते हैं चरम पर
होलाष्टक के दिन तंत्र कार्यों के लिए सबसे सिद्ध दिन माने गए हैं। इन दिनों में गर्भवती स्त्रियों को इसलिए भी बाहर नहीं जाने दिया जाता है क्योंकि कई लोग तांत्रिक क्रियाएं करके रास्ते में तंत्र पूजन सामग्री फेंकते हैं इससे गर्भवती स्त्री और उसके गर्भस्थ शिशु पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वे किसी तंत्र क्रिया की चपेट में आ सकते हैं। इसलिए सावधानीवश उनके बाहर जाने की मनाही रहती है।
 
क्या करें होलाष्टक में
होलाष्टक के आठ दिनों में भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा-आराधना का विशेष महत्व है। इन दिनों में यदि प्रतिदिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ किया जाए तो सुख, सौभाग्य, धन संपत्ति में वृद्धि होती है। इन दिनों में दान धर्म का भी महत्व है। विष्णु मंदिरों के बाहर बैठे अशक्त लोगों को भोजन, वस्त्र, सूखा अन्न, फल आदि दान करना चाहिए।
 
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