भारत में शादी को पवित्र बंधन माना जाता है और यहां रहते हुए सभी को इसको निभाने के लिए ही सामाजिक तौर पर मान्य किया जाता है, चाहे शादी की कामयाबी कई बातों पर निर्भर करती है। पर सच्चाई यही है कि आज भी अधिकतर महिलाएं अपनी नाकाम, असफल शादियों को उम्रभर झेलती रहती हैं,पर क्यों वे इस तरह की शादियों में बनी रहती हैं? क्यों कोई निर्णय लेकर अलग होने की हिम्मत नहीं कर पातीं?
तलाकशुदा के लिए समाज की अलग नजर
- अधिकतर घरों में लड़कियों को यही सिखाया जाता है कि उसे पराये घर जाना है, उसे शांत रहना है, गुस्सा नहीं करना आदि, जिससे वह दोनों घरों में से एक घर को भी पूरी तरह अपना नहीं समझ पाती और वो एडजस्ट ही करती रहती हैं।
- हमारा समाज तलाकशुदा महिलाओं को सम्मान की नजर से नहीं देखता, इसलिए ही सबकुछ सहते हुए एक शादी को बनाए रखने के लिए एक महिला अंत तक अपना सब कुछ देने को तैयार रहती है।
- किसी भी नाकाम शादी में बने रहने की सबसे बड़ी वजह बच्चे ही होते हैं। बच्चों को दोनों की जरूरत होती है, ऐसे में पति से अलग होकर उनका क्या भविष्य होगा, यही सोचकर अधिकांश महिलाएं इस तरह की शादियों में बनी रहती हैं।
- लड़कियां बहुत ही इमोशनल होती हैं, वो अपने माता-पिता को बुढ़ापे में दुख देकर चिंतित नहीं करना चाहती भले ही वह खुद अपनी जिंदगी एक नाकाम शादी को दे दें।
- लड़कियां चाहे खुद कितनी ही दुखी क्यों न हो, लेकिन सबसे पहले वे अपने भाई-बहनों के बारे में सोचती है कि उनसे कौन शादी करेगा, उन्हें समाज की कितनी बातें सुननी पढेगी यही सब बातें एक लड़की को रिश्ता निभाने के लिए मजबूर करती है।