ओ हो बच्चे को गुस्सा आ गया...सामान फेंक रहा है...किताब फाड़ दी...प्लीज दो मिनट शांत रहिए। आप गुस्सा मत कीजिए। आपने भी गुस्सा किया तो मामला बराबरी का हो जाएगा। बच्चा समझेगा जो मैं कर रहा हूं ,वही तो पापा/मम्मा कर रहे हैं। मतलब गुस्सा गलत नहीं है।
बच्चे के गुस्से को प्यार से जीतिए। उसके गुस्से की उम्र दो-तीन मिनट होती है। उसके बाद आपका रोल शुरू होगा। प्यारे पापा का, प्यारी मम्मा का जो उसे प्यार से समझाएंगे कि जो उसने किया वो गलत था और आप यह भी सोचिए कि उसने गुस्सा क्यों किया? कहीं आप ही तो कोई गलती नहीं कर रहे हैं...
आजकल के बच्चे गुस्सैल क्यों होते हैं?
मीडिया एक बड़ी वजह
आजकल के बच्चे अपना सबसे ज्यादा समय टीवी देखने में खर्च करते हैं। सीरियल्स, फिल्मों और कार्टून शो तक में हमेशा हीरो को मार-पीटकर जीत हासिल करते हुए दिखाया जाता है। इससे बच्चों को यह लगता है कि किसी को मारना गर्व की बात है। वे भी अपने आपको हीरो जैसा महसूस करते हैं और उसकी नकल करते हैं।
अकेलापन बन रहा है वजह
परिवार जैसे-जैसे सिमटकर छोटे हो गए, बच्चे अकेले हो गए हैं। माता-पिता काम में व्यस्त हो गए हैं। सुबह घर से निकलकर शाम को देर से लौटते हैं। बच्चा अकेलापन महसूस करता है। उसमें निगेटिव सोच विकसित होती है जो गुस्से, ईर्ष्या, घृणा आदि विकारों का रूप ले लेती है।
क्या माता-पिता को दोष देना सही होगा?
आजकल ज्यादातर घरों में एक बच्चा होता है या ज्यादा से ज्यादा दो। इसलिए वे माता-पिता के लाड़ले होते हैं तो जाहिर सी बात है उनकी सारी जिद भी पूरी की जाती है, पर ऐसी आदतों से आप बच्चों को बिगाड़ रहे हंै। बड़े होते-होते बच्चे इसके आदि हो जाते हैं और उनमें ना सुनने की शक्ति नहीं होती, वे जिद्दी भी होते हैं। ऐसे बच्चे समूह में आसानी से एडजस्ट नहीं हो पाते।
माता-पिता ऐसे करें बच्चों की मदद-
लाड़-प्यार करना बुरी बात नहीं
बच्चों को आपके प्यार की जरूरत है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हर जिद पूरी करें। गलत जिद के लिए उन्हें प्यार से बैठाकर समझाएं। इसमें समय लग सकता है, धैर्यवान रहें और स्थिति नियंत्रित करें। बच्चा समय के साथ समझने लगेगा कि आप क्या चाहते हैं और उसे कैसा व्यवहार करना है।
अपना समय दें
बच्चे को ज्यादा समय के लिए अकेला न छोड़ें। उसे आपके साथ की, आपके समय की जरूरत है।
उसे सैर पर ले जाएं
आप बच्चे के साथ समय बिताएंगे तभी वह आपको और आप उसे समझ पाएंगे। छुट्टी के दिन कहीं सैर पर निकलें।
सही-गलत में फर्क समझाएं
बच्चा नादान है। वह सही-गलत में फर्क नहीं कर पाता। उसे सही और गलत की पहचान करना सिखाएं।
बातें करें
बच्चे गुस्से में पैर पटकते हंै, तकिया फेंकते हैं, उछल-कूद करते हैं। यह करने देना चाहिए, क्योंकि इससे गुस्सा जल्दी ठंडा होता है। बच्चों को ऐसी चीजें करने देना चाहिए जिसमें उन्हें मजा आए।
बहुत सारा प्यार करें
बच्चों को यह जानने दीजिए कि आप उनके विचारों, भावनाओं का सम्मान करते हैं और अगर आप प्यार से उन्हें गले लगाएंगे तो उनका गुस्सा तुरंत ठंडा हो जाएगा।
एक अच्छा उदाहरण बनकर रहें
बच्चा बहुत कुछ आपसे ही सीखता है, आप गुस्से में जो भी करते हैं वह सब आपका बच्चा भी करता है। ज्यादातर अवसरों में बच्चे बड़ों की नकल करते हैं, इसलिए जब भी आप किसी अवस्था में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करें तो बच्चे की मानसिकता को ध्यान में रखते हुए करें।
अच्छे व्यवहार की प्रशंसा करें
कभी भी बच्चा गुस्से में हो और क्षणभर में ही अगर नियंत्रित हो जाए तो उसकी प्रशंसा जरूर करें। इससे उसे खुशी मिलेगी और वह हर बार ऐसा करने की कोशिश करेगा।