भ्रांति है कि दूध के दांतों की देखभाल न की जाए, तो भी चलता है, क्योंकि प्रकृति एक और अवसर देती है। दंत चिकित्सा क्षेत्र में हुए रिसर्च के बाद पता चला है कि जितना महत्व दूध के बाद आने वाले दांतों का है, उतना ही जन्म के छह माह बाद आने वाले दांतों का। बच्चों के दांतों की देखभाल कैसे करें, इस बार बता रहे हैं।
बच्चों के दूध के दांतों की देखभाल कितनी जरूरी है?
उतनी ही जितनी हम बड़े अपने दांतों की देखभाल करते हैं।
बच्चों के दांत प्राय: छह माह में आना शुरू हो जाते हैं। इस उम्र में क्या किया जा सकता है?
आजकल कंपनियों ने ऐसे टूथ ब्रश बनाना शुरू किए हैं, जो माता पिता अपनी अंगुलियों में पहन सकते हैं।
बच्चों के दांतों की देखभाल क्यों की जाए?
क्योंकि ऊपरी दूध में शकर मिली होती है। मुंह में पहले से ही बैक्टिरिया मौजूद होता है और मीठे में तो होता ही है। यह दांतों को सड़ा देता है।
बच्चों के किस खाने में दांतों को खतरा होता है?
आजकल जो फूड सल्पिमेंट्स आ रहे हैं, उनमें भी शक्कर होती है। इसलिए सतर्कता के लिए ब्रश कराना ही चाहिए।
नजरअंदाज करने पर अधिकतम क्या हो सकता है?
दूध के दांत के नीचे एक और दांत जन्म लेने की तैयारी में होता है। यदि टूथ बर्ड बनना चालू हो जाए, तो उसका इंफेक्शन रूट लेवल पर नसों में चला जाता है। इसके दुष्परिणाम स्वरूप दांत की विकास प्रक्रिया खराब हो जाती है।
क्या भारत में जागरूकता आई है?
हां, टेलीविजन विज्ञापनों के अलावा इंडियन डेंटल एसोसिएशन भी अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है। हम स्कूलों में जाकर बच्चों को दांतों की देखभाल के बारे में बताते हैं। कई अस्पतालों में भी जागरूकता बढ़ाने वाले पोस्टर या काउंसलर होते हैं।
आड़े तेडे दांत क्यों आते हैं?
पहली वजह जेनिटिकली है। दूसरी अंगूठा चूसने या जीभ से मसूड़े पर प्रेशर डालने पर होती है। आखिरी दो वजह से आपका बच्चा बचा रहे, इसका ख्याल रखिये।