लव मैरिज के बाद जब आप अपनी नई जिंदगी शुरू करते हैं तो बहुत सारे बदलाव आ जाते है। कुछ लोगों का कहना है कि लव मैरिज के बाद जीवन बहुत समान्य हो गया है। एक दूसरे के प्रति अब पहले जैसा उत्साह नहीं रह गया है। शादी से पहले की जिंदगी और बाद की जिंदगी में काफी बदलाव आ जाता है, जिसे अच्छी तरह मैनेज करना हर किसी के बस की बात नहीं हो पाती। इस कारण तनाव की स्थिती पैदा हो जाती है। आखिर क्यों लव मैरिज करने के बावजूद लव कहीं खो जाता है। इसके लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा जिससे आपकी मैरिज में लव हमेशा बना रहे।
1 सबसे बड़ी बात तो यह कि विवाह का बंधन केवल दो लोगों के बीच नहीं होता। इससे कई लोगों की खुशियां और आपके अपनों के खास एहसास जुड़े होते हैं। इसलिए जब एक बार आप इस बंधन में बंधने का निर्णय लेते हैं तो होश सलामत रखिए।
2 यदि आप लंबे समय के प्रेम के बाद विवाह कर रहे हैं तो इस बात को दिमाग में रखिए कि जीवन के आने वाले दिनों में आप दोनों की ही जिम्मेदारियां बढ़ेंगी जो कि अब तक आपके आस-पास इकट्ठे कई लोग मिलकर भी निभा देते थे।
3 जाहिर है कि कई नए अनुभव और नई चुनौतियां भी सामने आएंगी। उनसे खीजने या उसके लिए किस्मत को कोसने के बजाय उन पर विचार करें और उनका सामना करें।
4 यह बात हमेशा याद रखें कि प्रेम कभी भी खत्म होने वाला भाव नहीं है। जब आप किसी के साथ जिंदगी बिताने का निर्णय लेते हैं तो यह पति-पत्नी दोनों का ही दायित्व बन जाता है कि प्रेम के उस भाव को जिंदगी में कभी भी सूखने न दें।
5 छोटे-छोटे सरप्राइजेस, बोरिंग रुटीन के बीच एक रोमांटिक हॉलीडे या फिर डिनर या यूं ही बैठकर सुनहरी यादों को ताजा करें। जीवन में छोटे-छोटे लम्हे ही असली मिठास भरने का काम करते हैं।
6 सबसे जरूरी बात यह है कि एक-दूसरे की कमियों को कभी भी रिश्तों पर भारी न पड़ने दें। कमियां हर इंसान में होती हैं लेकिन जरूरी यह है कि उन्हें किस प्रकार से देखा जाता है। अगर आपके जीवनसाथी में कोई ऐसी कमी या खराब आदत है जो उसके लिए नुकसानदायक है, तो उसे धैर्य के साथ अपने प्रेम की सहायता से दूर करने की कोशिश करें।
7 पति-पत्नी दोनों ही यदि तुलना करने या फिर एक-दूसरे पर छींटाकशी करने से बचें तो बेहतर है। छोटे-छोटे विवादों को हंसकर सुलझाने की कोशिश करें। 'तुम तो शादी के पहले ऐसे नहीं थे' या 'शादी के पहले तो तुम ऐसा नहीं करती थीं' जैसे वाक्यों से बचिए। इनसे ही असंतुष्टि की शुरुआत होती है।
8 अब आप दो अलग-अलग लोग नहीं एक यूनिट हैं...इसलिए खुद को उसी रूप में देखिए और यदि कुछ सामान्य बातों में सामंजस्य बैठाने पड़ें तो उससे हिचकिचाइए मत।
9 केवल शिकायतों का पुलिंदा लेकर बैठने की बजाय हर २-१ माह में समय निकालकर एक-दूसरे की आवश्यकताओं तथा जिम्मेदारियों के बारे में बात करें। कोशिश करें कि पति-पत्नी किसी पर भी एकतरफा जिम्मेदारियों का बोझ न आए।
10 जीवन में बच्चों के आने से भी काफी फर्क पड़ता है। ऐसे में भी दोनों मिलकर इस जिम्मेदारी को उठाएं।
11 चाहें शादी की तीसरी वर्षगगांठ हो या फिर पच्चीसवीं, मन में उत्साह और उमंग बनाए रखें। एक-दूसरे की पसंद को और एक-दूसरे के कामों को सम्मान दें। जिंदगी को भरपूर जिएं।