नई दिल्ली। माँ बनने की ख्वाहिश हर महिला की होती है, क्योंकि महिला का ऐसा मानना होता है की उनका शिशु उनकी लाइफ को सम्पूर्ण बनाने में मदद करता है। और कुछ महिलाओं की ऐसी तमन्ना भी होती है की वो जुड़वां बच्चों को जन्म दें, कुछ महिलाएं उम्र अधिक होने के कारण ऐसा सोचती है तो कुछ ऐसा चाहती है। यदि आप भी ऐसा सोच रही है तो आपके लिए सबसे पहले यह जानना जरुरी होता है की जुड़वाँ बच्चे कैसे होते हैं। जुड़वां बच्चे दो तरह के होते है पहला जब महिला के अंडाशय से निकला अंडा एक ही शुक्राणु द्वारा निषेचित हो जाता है लेकिन बाद में दो भागो में बट जाता है।
यह एक ही प्लेसेंटा से जुड़े होते हैं लेकिन अंडे के अलग अलग भाग में भ्रूण विकसित होने लगते हैं। इन्हे मोनोजायगोटिक जुड़वा बच्चे कहा जाता है जो दिखने में भी एक जैसे होते हैं। जबकि कई बार अंडाशय से निकले दो अंडे अलग अलग शुक्राणु द्वारा निषेचित होते हैं, और उनका प्लेसेंटा भी अलग अलग होता है। ऐसे जुड़वाँ बच्चे देखने में अलग अलग होते हैं इन्हे डाइजायगोटिक जुड़वा बच्चे कहा जाता है। यदि आप भी प्रेगनेंसी प्लान कर रही हैं और चाहती है की आप भी जुड़वा बच्चों को जन्म दे तो इसके लिए आपको बहुत सी बातों का ध्यान रखना जरुरी होता है। तो आइये अब विस्तार से जानते हैं की जुड़वां बच्चों को जन्म देने के लिए किन किन बातों का ध्यान रखना बहुत जरुरी होता है।
फोलिक एसिड:- एक रिसर्च के अनुसार गर्भावस्था प्लान करने से कम से कम तीन से छह महीने पहले से ही फोलिक एसिड का सेवन करना गर्भ में जुड़वा बच्चे होने के चांस को बढ़ाने में मदद करता है, और आप डॉक्टर की राय लेने के बाद इनका सेवन शुरू भी कर सकते हैं। कई डॉक्टर्स इस बात की पुष्टि नहीं करते हैं लेकिन कुछ भी हो प्रेगनेंसी के दौरान फोलिक एसिड का सेवन करने से गर्भ में एक शिशु हो या जुड़वा दोनों को बीमारियों से सुरक्षित रखने और स्वस्थ रहने में मदद करता है।
स्तनपान:- यदि आप अपने पहले शिशु को एक साल से स्तनपान करवा रही है, और इसी समय के बीच आप दूसरी बार प्रेगनेंसी प्लान करती है। तो ऐसा करने से भी जुड़वां बच्चे होने के चांस बढ़ जाते हैं। क्योंकि इस समय बॉडी में प्रोलैक्टीन हॉर्मोन बनता है साथ ही बॉडी में एस्ट्रोजन के हॉर्मोन के स्तर में गिरावट आती है। जिसके कारण निषेचित अंडे को गर्भाशय से जुड़ने में अधिक समय लगता है और अंडे के दो भागों में विभाजित होने के चांस बढ़ जाते हैं और जुड़वा बच्चों के होने के चांस भी बढ़ जाते हैं।
उम्र:- अधिक उम्र होने पर भी जुड़वां बच्चे के होने की सम्भावना बढ़ जाती हैं क्योंकि इस दौरान अंडाशय एक बार में एक से ज्यादा अंडे बनाने लगता है। जिसके कारण अंडे का निषेचन होने पर गर्भ में जुड़वा बच्चे होने के चांस हो सकते हैं।
अनुवांशिक:- यदि आपके घर में पहले भी कोई जुड़वा बच्चे हुए हैं, या आपने पहले जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है तो ऐसे में दूसरी बार प्रेग्नेंट होने पर भी महिला के जुड़वा शिशु को जन्म देने की सम्भावना अधिक हो सकती है।