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ऊर्जा सचिव और वितरण कंपनी के एमडी को फील्ड जाने का निर्देश

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 24 2017 7:19PM | Updated Date: Oct 24 2017 7:19PM
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रायपुर। साल 2018 में होने वाले आगामी चुनाव का असर अब बैठकों में भी साफ नजर आ रहा है। कामकाज को लेकर मुख्यमंत्री ने सख्त रवैया अख्तियार कर लिया है, वे किसी भी सूरत में कोई भी कोताही बरतना नहीं चाह रहे हैं। शायद यही वजह है कि दो दिवसीय कलेक्टर्स कान्फ्रेंस में भी मुख्यमंत्री कलेक्टरों के कामकाज को लेकर काफी नाराज दिखे। सौभाग्य योजना की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने ऊर्जा सचिव और विद्युत वितरण कंपनी के एमडी को सुकमा और नारायणपुर जाने का निर्देश दिया है। मुख्यमंत्री ने दोनों अधिकारियों को इन जिलों में चल रही विद्युतीकरण योजना के तहत चल रहे कार्यों का निरीक्षण करने कहा है। 
 
हालांकि, सौर सुजला योजना में गरियाबंद, जशपुर और रायगढ़ जिलों की परफार्मेंस को मुख्यमंत्री ने जहां सराहा, वहीं कोरिया और बेमेतरा जिला इस योजना के कार्यान्वयन में फिसड्डी साबित हुए हैं। धान खरीदी को लेकर मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों को मानिटरिंग करने कहा है। उन्होंने धान खरीदी से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों को व्यापक प्रशिक्षण देने के लिए भी कहा है। उन्होंने कलेक्टरों को धान खरीदी के दौरान निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं ताकि अन्य राज्यों के धान को प्रदेश में खपाया न जा सके।
 
किसानों को राहत पहुंचाने के होंगे सभी जरूरी उपाय  
 
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने संभागीय कमिश्नरों और जिला कलेक्टरों को प्रदेश के सूखा प्रभावित इलाकों में किसानों और ग्रामीणों को राहत पहुंचाने के लिए सभी जरूरी उपाय सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि अल्पवर्षा के कारण जिन इलाकों में खेती प्रभावित हुई है, वहां संभाग और जिला स्तर पर जल उपयोगिता समितियों की बैठक आयोजित की जाए और इन बैठकों में संभागीय क्षेत्र की वृहद्, मध्यम और लघु सिंचाई जलाशयों में जल भराव की ताजा स्थिति की समीक्षा की जाए। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि ऐसे क्षेत्रों में पेयजल और निस्तारी के लिए पानी की आपूर्ति सबसे पहले सुनिश्चित की जाए और इसके बाद ही दलहन, तिलहन, मक्के की खेती और अन्य कार्यों के लिए पानी देने के संबंध में निर्णय लिया जाए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से यह भी कहा कि किसानों को समझाइश देकर गर्मियों में धान की खेती को हतोत्साहित किया जाए। ग्रीष्मकालीन धान के बजाय किसानों को कम पानी में होने वाली दलहन, तिलहन की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाए। इसके लिए केन्द्र और राज्य पोषित योजनाओं से प्रदर्शन प्रक्षेत्र भी विकसित किए जाएं। 
 
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