रायपुर। जंगल सफारी के खंड़वा जलाशय में ‘नौका विहार’ के लिए गहरीकरण का काम तेज हो गया है। गहरीकरण के बाद जलाशय में पूरे सालभर पानी भरा रहेगा। माना जा रहा है कि बारिश के सीजन में जलाशय के लबालब भरे होने के बाद ‘मोटर बोट’ काफी आकर्षक हो जाएगा। जंगल सफारी पहुंचने वाले पर्यटकों को निराश होकर नहीं लौटना पड़ेगा।
गहरीकरण से निकली तालाब की मिट्टी को जेसीबी मशीन से निकालकर हाइवा से परिवहन किया जा रहा है। बता दें कि जंगल सफारी के आकर्षण में चार चांद लगाने वन विभाग ने लगभग 60 एकड़ के जलाशय का काम शुरू कर दिया है। पांच करोड़ रुपए की स्वीकृत राशि से गहरीकरण किया जा रहा है। बारिश से पहले 15 जून तक डेढ़ महीने के भीतर गहरीकरण को पूरा किया जाना है। वन अफसरों की मानें तो नौका विहार को और खूबसूरत बनाने जलाशय के तट का सौंदर्यीकरण किया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी झील के चारों ओर पौधरोपण करने के निर्देश दिए हैं। जंगल सफारी के पर्यटकों के लिए 20 सीटर मोटर बोट की सौगात दी है। नए साल से ही पर्यटक इसका लाभ उठा रहे हैं। जंगल सफारी प्रशासन पर्यटकों से वसूलने वाली एंट्री फीस के एवज में यहां रोज नई सुविधा जुटाने की कोशिश कर रहा है। जंगल सफारी में उड़ती धूल देखकर मुख्यमंत्री ने सड़कों को सुधारने 5 करोड़ रुपए देने की घोषणा भी पिछले दिनों की थी।
ऐसा लगेगा, जैसे समुंदर की गहराई में हैं
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने एशिया के सबसे बड़े मानव निर्मित जंगल सफारी को विकसित करने फिश एक्वेरियम बनाने के निर्देश दिए हैं। ऐसा होने पर छत्तीसगढ़ फिश एक्वेरियम बनाने वाला देश का दूसरा राज्य होगा। राजस्थान के झीलों की नगरी उदयपुर में देश का पहला हाइटेक वर्चुअल वर्ल्ड फिश एक्वेरियम निर्माणाधीन है। उदयपुर में एक्वेरियम 5 करोड़ की लागत से पांच सेक्शन में बन रहा है। यह पर्यटकों को मछलियों के बीच समुंदर की गहराई में सैर का एहसास दिलाएगा। यहां मछलियों की 1500 से अधिक प्रजातियां रहेंगी। रंग-बिरंगी मछलियों से घिरे एक्वेरियम में वर्चुअल वर्ल्ड भी स्थापित किया जाएगा जो देश का पहला ऐसा फिश एक्वेरियम होगा। यहां मछलियों से जुड़े शोध भी होंगे।