श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के पहले यूपीएसएसी टॉपर शाह फैसल (35) के खिलाफ केंद्र सरकार ने कार्रवाई के आदेश दिए। कार्मिक विभाग के आॅर्डर के मुताबिक, अपने कर्तव्यों के लेकर फैसल ईमानदारी साबित करने में नाकाम रहे। लिहाजा राज्य सरकार को उनके खिलाफ कार्रवाई करना चाहिए। फैसल ने एक ट्वीट किया था। इसमें उन्होंने लिखा था, वंशवाद+आबादी + शिक्षा+एल्कोहल+पोर्न+टेक्नोलॉजी+अराजकता= रेपिस्तान।
इसके बाद उन पर कार्रवाई के आदेश हुए। 2011 बैच के आईएएस अफसर फैसल ने सरकारी आदेश की कॉपी को टैग करते हुए लिखा, "साउथ एशिया में रेप कल्चर को व्यंग्यात्मक लहजे में लिखने पर मेरे बॉस की तरफ से लव लेटर भेजा गया है।
कार्रवाई के आदेश
फैसल ने 22 अप्रैल 2018 को 'रेपिस्तान' वाला ट्वीट किया था। कार्मिक विभाग ने उन पर कार्रवाई करने का आदेश 10 जुलाई 2018 को जारी किया। फिलहाल फैसल अमेरिका के हार्वर्ड केनेडी स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं। केंद्र सरकार ने 2016 से अधिकारियों द्वारा सोशल मीडिया पर सरकार की आलोचना करने पर प्रतिबंध लगाया है। 2016 में ही मध्यप्रदेश के बड़वानी कलेक्टर रहे अजय सिंह गंगवार का फेसबुक पर जवाहर लाल नेहरू की तारीफ करने के चलते तबादला कर दिया गया था।
उमर का अफसरशाही पर तंज
पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने फैसल का बचाव किया। उमर ने कहा- मैंने फैसल को भेजा नोटिस देखा है। ये अफसरशाही के अतिउत्साह का नतीजा है। आपको (सरकार) राजस्थान या कहीं और से आने वाले अफसरों से कोई परेशानी नहीं है। लेकिन फैसल का दुष्कर्म पर किया गया ट्वीट आपको परेशान करता है। कार्मिक विभाग ने जो आदेश दिया है, उससे तो ऐसा ही लगता है कि सरकार फैसल को बाहर करना चाहती है। आदेश की अंतिम लाइन तो फैसल को बेईमान तक बता रही है। व्यंग्यात्मक लहजे में किया गया ट्वीट बेईमानी कैसे हो सकता है? इसे भ्रष्टाचार कैसे कहा जा सकता है?