जालंधर। पंजाब रोडवेज की सहायक परिवहन 'पनबस'के कर्मचारियों की सोमवार की एक दिन की हड़ताल से लाखों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पनबस की लगभग दो हजार बसों का परिचालन ठप है। पनबस के जालंधर डिपों के प्रभारी जसबंत सिंह और मुक्तसर डिपों के प्रभारी हरंजिदर सिंह ने यूनीवार्ता को बताया कि पनबस कर्मचारियों की समान वेतन की मांग पर उच्चतम न्यायालय ने 26 अक्टूबर 2016 को आदेश जारी किया था कि इन कर्मचारियों को चंडीगढ़ अंडरटेंकिंग ट्रांस्पोर्ट (सीटीयू) के कर्मचारियों के बरावर वेतन दिया जाए लेकिन दो वर्ष के पश्चात भी सरकार ने इस आदेश को लागू नहीं किया है।
उन्होंने बताया कि कर्मचारी दोपहर 12 बजे से लेकर रात 12 बजे तक हड़ताल पर रहेंगे। सिंह ने बताया कि कर्मचारियों की मांग है कि 19 दिसंबर 2016 को तत्कालीन मुख्य मंत्री प्रकाश बादल द्वारा बनाए गए कानून को लागू किया जाए। कानून के अनुसार अनुबंध के आधार पर पनबस में कार्य कर रहे कर्मचारियों को रोडवेज में शामिल किया जाना था। जहां तीन वर्ष के पश्चात उन्हें स्थायी किया जाने का प्रावधान रखा गया था। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें अन्य परिवहन के समान वेतन दिया जाए। बस के दुर्घटनाग्रस्त होने पर बस चालक से क्षतिपूर्ति लेना बंद किया जाए।
सिंह ने बताया कि रोडवेज के चालक या परिचालक पर किसी प्रकार का मामला बनने पर उसे निलंबित किया जाता है तथा फैसला होने तक आधा वेतन भी दिया जाता है लेकिन अनुबंध पर कार्य कर रहे चालक और परिचालकों को इस स्थिति में तीन माह के लिए निलंबित किया जाता है तथा बाद में शत प्रतिशत क्षतिपूर्ति लेकर बहाल किया जाता है ,इसे रोका जाए। उन्होंने कहा कि कर्ज पर ली गई पनबस की बसों को ऋणमुक्त होने के पश्चात रोडवेज में शामिल किया जाता है। उन्होंने मांग की है कि रोडवेज में शामिल की जाने वाली बसों के चालक तथा परिचालकों को भी रोडवेज में शामिल किया जाए।