बेंगलुरु। कर्नाटक में सरकार ने एक बार फिर बड़ा दांव खेला है। लिंगायत को अलग धर्म की मान्यता के बाद अब इसे अल्पसंख्यक का भी दर्जा दिए जाने की घोषणा की गई है। विधानसभा चुनाव से पहले सियासत का हर दांव कर्नाटक में खेलना कांग्रेस व भाजपा की मजबूरी बन गई है। भाजपा के निशाने पर रहने के बाद सीएम सिद्धारमैया ने लिंगायत समुदाय के लोगों को अलग धर्म का दर्जा देने के सुझाव को मंजूरी कुछ दिन पहले दी थी। अब सरकार ने इसे अल्पसंख्यक का दर्जा देने की घोषणा की है।
लिंगायत समुदाय की आबादी 18 प्रतिशत
कर्नाटक में चुनाव के मद्देनजर इस फैसले को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। कर्नाटक में लिंगायत समुदाय के लोगों की संख्या करीब 18 प्रतिशत है। इसके अलावा भाजपा के मुख्यमंत्री पद के दावेदार बीएस येदियुरप्पा भी इसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में यह खेमा भाजपा के पक्ष में था, लेकिन कांग्रेस सरकार के इस कदम के बाद भाजपा के लिए राज्य में बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है।
भाजपा ने लगाया समाज को बांटने का आरोप
कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने की मांग मान ली है। भारतीय जनता पार्टी ने इसकी निंदा करते हुए समाज को बांटने की राजनीति करने का आरोप लगाया है। वहीं कांग्रेस ने इस पर हामी भरकर अब गेंद केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार के खेमे में डाल दी है।