नई दिल्ली। कांग्रेस ने मोदी सरकार पर महिलाओं के अधिकारों और सम्मान की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाते हुये अगले आम चुनाव से पहले लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का विधेयक पारित कराकर उसे लागू करने की मांग की है। कांग्रेस के 68वें महाधिवेशन में राजनीतिक प्रस्ताव के जरिए यह मांग की गयी। प्रस्ताव में कहा गया कि देश में महिलाओं को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। देश भर में महिलाओं के साथ हिंसा और यौन उत्पीड़न की घटनाओं में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। मौजूदा भाजपा सरकार महिलाओं के अधिकारों और सम्मान की रक्षा करने में पूरी तरह से नाकाम साबित हुई है।
लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को आरक्षण देने के प्रति अपना समर्थन दोहराते हुये पार्टी ने सरकार से 2019 के आम चुनाव से पहले महिला आरक्षण विधेयक पारित कराकर उसके प्रावधानों को लागू करने की मांग की है। प्रस्ताव में कहा गया कि देश को पहली महिला प्रधानमंत्री, पहली महिला राष्ट्रपति और पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष कांग्रेस ने ही दी। राजीव गांधी ने इस उम्मीद के साथ पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं के लिये 33 प्रतिशत आरक्षण लागू कराने में अग्रणी भूमिका निभाई थी,
कि इससे हमारे गावों के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य और भारत के राजनीतिक ताने-बाने में तेजी से बदलाव आएगा। इस पथप्रवर्तक फैसले का साफ असर सभी के सामने है। देश भर की महिलाएं अपने समुदायों की प्रगति को आकार देने में हिस्सा लेती हैं और यही हमारे लोकतंत्र की बुनियाद हैं। पूरी दुनिया के मुकाबले भारत में सबसे ज्यादा निर्वाचित महिला प्रतिनिधि हैं। प्रस्ताव में यूपीए-2 सरकार की सराहना करते हुए कहा गया कि उसने स्थानीय निकायों, संस्थानों में महिलाओं के लिए आरक्षण बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने का कानून तैयार किया।