पटना। जदयू के चुनाव चिह्न 'तीर' को लेकर शरद यादव गुट और नीतीश कुमार गुट के बीच चल रही तकरार को खत्म हो गयी। चुनाव आयोग ने नीतीश कुमार गुट के पक्ष में फैसला देते हुए शरद यादव गुट को झटका दिया है। मालूम हो कि जदयू के चुनाव चिह्न तीर को लेकर शरद यादव गुट ने भी चुनाव आयोग के समक्ष दावेदारी पेश की थी। इससे पहले चुनाव आयोग ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। चुनाव आयोग द्वारा नीतीश कुमार गुट को तीर दिये जाने की घोषणा के बाद कार्यकर्ताओं और पार्टी नेताओं में खुशी की लहर है।
तीर पर दावे को लेकर चुनाव आयोग के समक्ष दोनों धड़ों ने गुजरात चुनाव लड़ने की इच्छा से अवगत करा दिया था। नीतीश कुमार गुट की ओर से वरिष्ठ वकील सतीश द्विवेदी और गोपाल सिंह ने अपनी बातें रखीं। उसके बाद शरद यादव गुट ने भी अपना पक्ष चुनाव आयोग के समक्ष रखा। हालांकि, शरद गुट के अरुण कुमार श्रीवास्तव ने उम्मीद जतायी थी कि चुनाव आयोग हमारी बातों से संतुष्ट हैं और उनके हक में ही फैसला आयेगा।
नीतीश कुमार गुट की ओर से भी राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह, राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी, पार्टी महासचिव संजय झा, बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्री ललन सिंह, वकील सतीश द्विवेदी, गोपाल सिंह आदि चुनाव आयोग के समक्ष पेश होकर अपनी बातें रखी थीं। वहीं, शरद गुट की ओर से महासचिव अरुण श्रीवास्तव, गोविंद यादव और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल चुनाव आयोग के समक्ष उपस्थित होकर तीर पर दावेदारी पेश की थी। मालूम हो कि नीतीश कुमार गुट की ओर से दलील दी गयी कि पार्टी के अधिकतर विधायक और सांसद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फैसले के साथ है। राष्ट्रीय परिषद के भी अधिकतर सदस्य उनके साथ हैं। पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते उन्हें ही राष्ट्रीय परिषद की बैठक बुलाने का अधिकार है। वहीं शरद गुट ने राष्ट्रीय परिषद की अनुमति के बगैर पार्टी पदाधिकारियों की नियुक्ति पर सवाल उठाया था।