नई दिल्ली। केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर अब संवैधानिक पीठ फैसला करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए इस मामले को संवैधानिक पीठ को सौंप दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले से जुड़े 6 बिंदुओं को भी उठाया है। इस पर भी संवैधानिक पीठ गौर करेंगी और आखिरी फैसला लेगी। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित बेंच ने कुछ अहम सवाल संविधान पीठ के लिए तय किए हैं।
इस सवालों के आधार पर संवैधानिक पीठ को अहम फैसला सुनाना होगा। अहम सवाल तो यही है कि क्या कोई मंदिर मे लिंग भेद के आधार पर महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगाना कहां तक जायज है? सवाल यह भी है कि यह रोक अनुच्छेद 25 में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन तो नहीं करती है?
इस मामले में 'इंडियन यंग लॉयर्स असोसिएशन' ने जनहित याचिका के जरिए सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की इजाजत मांगी है। सुप्रीम कोर्ट में केस आने से पहले केरल हाई कोर्ट ने मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को प्रतिबंधित करने को सही माना था।
बता दें कि 10 से 50 वर्ष तक की महिलाएं सबरीमाला मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकती हैं। सबरीमाला मंदिर के पुजारियों की दलील है कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। 10 से 50 वर्ष की आयु संतान पैदा करने की होती है, इसलिए इन्हें धर्म के मुताबिक प्रतिबंधित किया गया है।