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तलवार दंपति के वकील को मिली कोर्ट की कॉपी, रिहाई पर सस्पेंस...

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 13 2017 1:19PM | Updated Date: Oct 13 2017 5:29PM
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नई दिल्ली। आरुषि हत्याकांड में तलवार दंपति के वकील तनवीर मिर को इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले की कॉपी मिल गई है। बावजूद इसके राजेश और नुपुल तलवार की डासना जेल से रिहाई को लेकर सस्पेंस बरकरार है।

वकील तनवीर मिर को इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले की कॉपी को इलाहाबाद से डासना लाना है। उनका जेल बंद होने से पहने पहुंचाना संभव नहीं दिख रहा है। ऐसे में तलवार दंपति की रिहाई आज संभव नहीं दिख रही है।

इस बीच जेल अधीक्षक दधिराम मौर्य ने भी साफ कर दिया है कि जब तक इलाहाबाद कोर्ट के फैसले की कॉपी नहीं मिलती है, तलवार दंपति की रिहाई संभव नहीं है।  

दधिराम मौर्य ने मीडिया से कहा है कि अगर आज जेल बंद होने से पहले कोर्ट कॉपी मिल जाती है तो तलवार दंपति को रिहा कर दिया जाएगा। 

अनुमान और आकलन के आधार पर सीबीआई की अदालत द्वारा सुनाए गए इस फैसले में ऐसे कई अनसुलझे सवाल थे। जिसका जवाब हर कोई जानना चाहता था लेकिन जवाब ना पुलिस दे पा रही थी, ना सीबीआई। देखते ही देखते ये घटना सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री बन गई।
 
जेलर ने कहा, हमें नहीं मिली फैसले की कॉपी
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले की कॉपी अब तक जेल नहीं पहुंची है। गाजियाबाद के डासना जेल के जेलर डी मौर्या ने मीडिया को तलवार दंपति की रिहाई के मामले में जानकारी देते हुए ये बात कही। उन्होंने कहा कि जब तक कोर्ट का ऑर्डर नहीं आएगा तब तक जेल की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती। उन्होंने बताया कि कैदी को जेल से रिहा करने की प्रक्रिया को पूरा करने के दो तरीके हैं। या तो इलाहाबाद उच्च न्यायालय अपने आदेश की प्रति सीधे जेल अधिकारियों को भेजे या फिर इसे संबद्ध सीबीआई अदालत के जरिए भेजा जाए जिसने उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई थी।
 
अब तक इस मामले में पता ही नहीं चल पाया है कि.....
- हत्या के लिए इस्तेमाल हथियार कहां है?
- दीवार पर खूनी पंजे के निशान किसके थे?
- स्कॉच की बोतल पर किसके हाथ के निशान थे?
- सीढ़ियों पर खून के धब्बे किसके थे?
- आरुषि के खून से सने कपड़े कहां हैं?
- फिंगर प्रिंट के साथ छेड़छाड़ किसने की?
- हत्या की रात क्या बाहर से कोई आया था?
- हेमराज की लाश घर की छत पर कौन ले गया?
- और सबसे बड़ा सवाल कि आरुषि-हेमराज के कत्ल का मकसद क्या था?

साल 2013 से जेल में बंद तलवार  
इस मामले में आरोपी दंपती डॉ. राजेश तलवार और नुपुर तलवार ने सीबीआई अदालत की ओर से आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। डॉ. तलवार की बेटी आरुषि की हत्या 15 एवं 16 मई 2008 की दरम्यानी रात नोएडा के सेक्टर 25 स्थित घर में ही कर दी गई थी। घर की छत पर उनके घरेलू नौकर हेमराज का शव भी पाया गया था। इस हत्याकांड में नोएडा पुलिस ने 23 मई को डॉ़ राजेश तलवार को बेटी आरुषि और नौकर हेमराज की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया था। इस मामले की जांच एक जून को सीबीआई को सौंप दी गई थी। सीबीआई की जांच के आधार पर गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने 26 नवंबर, 2013 को हत्या और सबूत मिटाने का दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके बाद से तलवार दंपति जेल में बंद हैं।

सीबीआई कोर्ट ने सबूतों और गवाहों को दरकिनार किया
कोर्ट ने कहा कि आरुषि मामले को एक तरीके से एक मैथ की प्रॉब्लम की तरह सॉल्व किया है जो कि नहीं होना चाहिए था। क्योंकि कानून में सबूत और गवाह अहम माने जाते हैं ना की एक पहेली की तरह किसी केस को सॉल्व करना चाहिए। सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में कहानी की तरह खुद ही मान लिया कि उस रात नोएडा के जलवायू विहार के L 32 फ्लैट में क्या हुआ था।

कानून के बुनियादी नियम को जज ने फॉलो नहीं किया
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में सीबीआई कोर्ट के जज पर सख्त टिप्प्णी की। हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि मानो जज को कानून की सही जानकारी तक नहीं थी, इसी वजह से उन्होंने कई सारे तथ्यों को खुद ही मानकर फैसला दे दिया जो थे ही नहीं। ट्रायल जज एक गणित के टीचर की तरह व्यवहार नहीं कर सकता. ट्रायल जज ने L 32 में जो हुआ उसे एक फिल्म निर्देशक की तरह सोच लिया। कानून के बुनियादी नियम को जज ने फॉलो नहीं किया। ट्रायल जज को खुद पर संयम रखकर तथ्यों को तोड़ना मरोड़ना नहीं चाहिए था। ट्रायल जज को चाहिए कि वो पारदर्शी और निष्पक्ष हो. ऐसा लगता है कि ट्रायल जज अपनी कानूनी जिम्मेदारियों से अनभिज्ञ हैं।

तलवार दंपत्ति ने खाई पूड़ी-सब्जी
फैसला आने के बाद तलवार दंपत्ति काफी खुश नज़र आए। गुरुवार रात को दोनों ने पूड़ी-सब्जी खाई। और शुक्रवार सुबह चाय-दलिया का नाश्ता किया। दोनों रात को सो नहीं पाए, बस टहलते रहे। जेल स्टाफ का कहना है कि तलवार दंपति फैसले के बाद काफी खुश नज़र आ रहे थे। यहां तक कि जेल के कैदी भी खुश हैं।

यूपी पुलिस ने बिगाड़ा था पूरा मामला
दरअसल इस केस को उत्तर प्रदेश पुलिस की लापरवाही ने जटिल बना दिया। सीबीआई को जब तक जांच का जिम्मा सौंपा गया तब तक गंगा-जमुना से काफी पानी निकल चुका था यानी सुबूतों से छेड़छाड़ और नष्ट किया जा चुका था।

आज हो सकती है जेल से रिहाई?
आरुषि के माता पिता राजेश तलवाल और नुपुर तलवार अभी गाजियाबाद की डासना जेल में बंद हैं। हाईकोर्ट के आदेश के बाद उन्हें आज रिहा किया जा सकता है। जानकारी के मुताबिक तलवार दंपत्ति फैसले से खुश हैं और पूरी रात सो भी नहीं पाए।
 
कानूनी प्रक्रिया के तहत फैसला आने के बाद अब तलवार दम्पत्ति के वकील कोर्ट के ऑर्डर की कॉपी लेकर गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट लेकर पहुंचेंगे। इसके बाद सीबीआई कोर्ट रिलीज ऑर्डर जारी करेगी जिसे डासना जेल में देना होगा। इसके बाद ही तलवार दम्पत्ति की रिहाई हो सकेगी।

क्लासमेट की जुबानी आरुषि की कहानी
सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, आज भले ही सीबीआई पर ठीकरा फोड़ा जा रहा है, पर किसी केस का मेरिट सुबूतों के आधार पर ही बनता और बिगड़ता है। यूपी पुलिस ने शुरुआती सात-आठ दिनों में ही इस केस को खराब कर दिया था।
 
सीबीआई जांच के शुरुआती दो-तीन सालों में अपने ही किए जांच को पलटती रही। यूपी पुलिस के आईजीपी और इस केस के पहले जांच अधिकारी गुरुदर्शन सिंह ने राजेश तलवार को गिरफ्तार किया था। गुरुदर्शन सिंह ने ही नोएडा में मीडिया से बात करते हुए पिता और बेटी के चरित्र पर भी सवाल उठाए थे।
 
वहीं, इस केस की शुरुआती जांच की कमान संभालने वाले सीबीआई के ज्वाइंट डायरेक्टर अरुण कुमार ने 10 दिन के भीतर ही राजेश तलवार के तीन नौकरों कृष्णा, राजकुमार और विजय मंडल को गिरफ्तार किया और राजेश तलवार को रिहा कर दिया था।

सीबीआई कोर्ट ने सुनाई थी उम्रकैद की सजा
सीबीआई की विशेष अदालत ने राजेश-नुपुर तलवार दंपत्ति को अपनी बेटी आरुषि और घरेलू नौकर हेमराज के कत्ल का दोषी पाया था और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी। खंडपीठ ने तलवार दंपति की अपील पर सात सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और फैसला सुनाने की तारीख 12 अक्टूबर तय की थी।

क्लोजर रिपोर्ट भी थी बेकार
इस हत्याकांड में उस समय नाटकीय मोड़ आ गया जब सीबीआई के ज्वाइंट डायरेक्टर अरुण कुमार की जगह एजीएल कौल को सितंबर 2009 में जांच का जिम्मा सौंपा गया। एजीएल कौल ने जिम्मेदारी संभालते ही जांच की दिशा तलवार दंपत्ति के तरफ मोड़ दिया। लेकिन दिसंबर 2010 में जांचकर थक चुकी सीबीआई ने कोर्ट में एक क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी। सीबीआई ने यह कहते हुए क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी कि हत्या में कोई साक्ष्य नहीं मिला, फिर भी सीबीआई को राजेश तलवार पर ही इस हत्याकांड को अंजाम देने का शक है।

यह है पूरा मामला
पूरे देश को हिलाकर रख देने वाले इस केस की कहानी 2008 में शुरू हुई थी। 16 मई 2008 को नोएडा के जलवायु विहार इलाके में 14 साल की आरुषि का शव बरामद हुआ। अगले ही दिन पड़ोसी की छत से नौकर हेमराज का भी शव मिला। केस में पुलिस ने आरुषि के पिता राजेश तलवार को गिरफ़्तार किया। 29 मई 2008 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। सीबीआई की जांच के दौरान तलवार दंपति पर हत्या के केस दर्ज हुए।
 
मर्डर केस में सभी पक्षों की सुनवाई के बाद सीबीआई कोर्ट ने 26 नवंबर 2013 को नुपुर और राजेश तलवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। सीबीआई के फैसले के खिलाफ़ आरुषि की हत्या के दोषी माता-पिता हाई कोर्ट गए और अपील दायर की। राजेश और नुपुर फिलहाल गाजियाबाद की डासना जेल में सजा काट रहे हैं।
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