पटना। राष्ट्रपति चुनाव के लेकर बिहार में दलित राजनीति तेज हो गई है वहीं बयानों की तल्खी इस ओर इशारा कर रही है कि महागठबंधन की डोर अब बहुत कमजोर पड़ चुकी है और किसी भी समय बड़ी राजनीतिक फेरबदल की बात सामने आ सकती है। वैसे दोनों दल एक दूसरे पर भारी पड़ रहे हैं।
राष्ट्रपति चुनाव में यूपीए की उम्मीद्वार मीरा कुमार को नीतीश कुमार ने सपोर्ट नहीं किया है। इस पर कांग्रेस ने कहा कि उन्होंने बिहार की दलित बेटी को हराने की तैयारी कर ली है। हालांकि, कांग्रेस ने सीधे तौर पर नीतीश का नाम नहीं लिया।
जदयू के मुख्य प्रदेश प्रवक्ता संजय सिंह ने सोमवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि मुख्यमंत्री एवं महागठबंधन के नेता नीतीश कुमार के खिलाफ बयान देने वाले नेताओं को राजद से तत्काल बाहर निकाला जाना चाहिए। राजद के इस संबंध में सफाई देने से काम चलने वाला नहीं है।
सिंह ने कहा कि सीएम का अपमान करने वाले नेताओं को बर्दास्त नहीं किया जाएगा। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह और राजद विधायक भाई वीरेन्द्र को पार्टी से निकालने के लिए राजद समय सीमा तय करे। राजद के सिंह और भाई वीरेन्द्र ने गठबंधन की मार्यादा को ताड़ने का काम किया है।
कांग्रेस का पलटवार
नीतीश के सपोर्ट पर कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने पलटवार किया है। आजाद ने कहा कि बिहार की बेटी की हार पर सबसे पहला निर्णय नीतीश कुमार ने लिया है। आजाद ने कहा कि जो लोग एक सिद्धांत में विश्वास करते हैं, वो एक फैसला लेते हैं। और जो लोग कई सिद्धांतों में विश्वास करते हैं, वो अलग-अलग फैसले लेते हैं।
बता दें कि, देश के अगले राष्ट्रपति के लिए 17 जुलाई को चुनाव होंगे। मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है।