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जलीकट्टू : दिल्ली तक पहुंचा प्रदर्शन, धरने पर बैठे PMK सांसद

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 19 2017 8:09PM | Updated Date: Jan 19 2017 8:09PM
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चेन्नई। सांडों की लड़ाई के खेल जलीकट्टू से प्रतिबंध हटाने की मांग समूचे तमिलनाडु में फैल गई है। चेन्नई के मरीना बीच पर बुधवार से ही प्रदर्शन हो रहे हैं। राज्य के अलग-अलग हिस्सों से भी विरोध-प्रदर्शन की खबरें हैं। सड़कों पर रोष बढ़ने के मद्देनजर मुख्यमंत्री ओ. पनीरसेल्वम ने फौरन एक अध्यादेश लाने की मांग करते हुए गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की।

इस मामले को लेकर गुरुवार को दिल्ली और चेन्नई समेत कई इलाकों में भारी विरोध-प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शनकारी सुप्रीम कोर्ट से रोक हटाने और पशु अधिकार अधिकार संगठन ‘पेटा’ पर रोक लगाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। 

फैसला आने तक आंदोलन
मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम की प्रदर्शन वापस लेने की अपील दरकिनार कर हजारों स्वयंसेवक जल्लीकट्टू आयोजित करवाने की मांग पर अड़े हैं। उन्होंने फैसला आने तक आंदोलन जारी रखने की बात कही है। अलंगनल्लूर (जहां आमतौर पर जल्लीकट्टू आयोजित किया जाता है) सहित राज्य के विभिन्न इलाकों में आंदोलन जारी रहा। छात्रों समेत कई संगठनों के लोग भी इसका हिस्सा बने। दिल्ली के जंतर-मंतर पर भी लोग धरने पर बैठे। 

उपवास करेंगे रहमान
ऑस्कर विजेता संगीतकार एआर रहमान भी जल्लीकट्टू के समर्थन में आ गए हैं। गुरुवार को किए एक ट्वीट में रहमान ने कहा, तमिलनाडु की भावनाओं के समर्थन में मैं कल उपवास पर रहूंगा।

प्रस्ताव पारित होगा
इस बीच, एआईडीएमके प्रमुख शशिकला ने कहा, पाबंदी हटाने के लिए विधानसभा के अगले सत्र में प्रस्ताव पारित किया जाएगा। पार्टी सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलेगा। इस बीच, भाजपा नेता पी राधाकृष्णन ने कहा कि पेटा के फंडिंग की जांच की जाएगी। 

कंपनी में छुट्टी
बता दें कि जल्लीकट्टू के समर्थन में चेन्नई में 22 जनवरी तक 31 कॉलेज और विश्वविद्यालय बंद कर दिए गए हैं। चेन्नई में एक कारपोरेट कंपनी के सीईओ ने अपने कर्मचारियों को एक दिन की छुट्टी दे दी है।

विवाद की वजह 
तमिलनाडु में जल्लीकट्टू पर 2014 से प्रतिबंध है। पिछले साल जयललिता की मांग पर केंद्र ने अधिसूचना जारी कर रोक हटा दी थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में केंद्र के फैसले को चुनौती दी गई। पिछले साल सात दिसंबर सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा है। राज्य सरकार ने मांग की थी सुप्रीम कोर्ट पोंगल के पहले इस पर फैसला दे दे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 

जल्लीकट्टू का मतलब
'जल्ली' का मतलब होता है 'सिक्के' और कट्टू का अर्थ है 'बांधा हुआ।' यह सांडों का खेल है जिसमें उसके सींग पर कपड़ा बांधा जाता है। जो खिलाड़ी सांड के सींग पर बांधे हुए इस कपड़े को निकाल लेता है उसे ईनाम के रूप में सिक्के या पैसे मिलते हैं।

400 साल पुरानी परंपरा है जलीकट्टू
तमिलनाडु में जलीकट्टू 400 साल पुरानी परंपरा है। जो योद्धाओं के बीच लोकप्रिय थी। प्राचीन काल में महिलाएं अपने पति को चुनने के लिए जलीकट्टू खेल का सहारा लेती थीं। जलीकट्टू खेल का आयोजन स्वंयवर की तरह होता था जो कोई भी योद्धा बैल पर काबू पाने में कामयाब होता था महिलाएं उसे अपने पति के रूप में चुनती थीं। जलीकट्टू खेल का ये नाम ‘सल्ली कासू’ से बना है। सल्ली का मतलब सिक्का और कासू का मतलब सींगों में बंधा हुआ।

 

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