नई दिल्ली। सरकार ने दो टूक शब्दों में स्पष्ट किया कि वह देश के किसी भी केंद्रीय विश्वविद्यालय में छात्रों के खिलाफ की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई के मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी क्योंकि यह विश्वविद्यालयों की स्वायत्ता का मामला है। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्यसभा में मंत्रालय के कामकाज पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कई विपक्षी सदस्यों की इस मांग को खारिज कर दिया कि जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय, हैदराबाद विश्वविद्यालय तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रों के खिलाफ की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई के मामले में सरकार हस्तक्षेप कर इस मुद्दे को सुलझाए।
ईरानी ने कांग्रेस के आनंद भास्कर रापोलु द्वारा इन विश्वविद्यालय के छात्रों को मिले दंड को माफ करने के अनुरोध पर कहा कि वह संविधान के नियमों और कानूनों से बंधी हैं और विश्वविद्यालयों की स्वायत्ता की पक्षधर हैं। वैसे भी विश्वविद्यालय ऐसे मामलों में निर्णय लेने में सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि वह इस तरह के मामलो में हस्तक्षेप कर विवादों का पिटारा नहीं खोलना चाहती। अगर किसी कानून का उल्लंघन हुआ है तो इस मामले को विजिटर (राष्ट्रपति) के पास भेजे जाने का प्रावधान है।
गौरतलब है कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी राजा और जनता दल यू के शरद यादव ने आज शून्यकाल में भी जेएनयू के आमरण अनशन कर रहे छात्रों के मामले को सुलझाने के लिए सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की थी।