19 Apr 2024, 01:03:54 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
State

भारत में दुनिया की फूड फैक्ट्री बनने की पूरी क्षमता - नीदरलैंड

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 28 2020 1:21AM | Updated Date: Jan 28 2020 1:21AM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

अहमदाबाद। नीदरलैंड ने आज कहा कि भारत के पास दुनिया की फूड फैक्ट्री (भोजन सामग्री उपल्ब्ध कराने वाला स्थल) बनने की पूरी क्षमता है। गुजरात की राजधानी गांधीनगर में कल से आयोजित होने वाले तीन दिवसीय विश्व आलू सम्मेलन (ग्लोबल पोटैटो कॉनक्लेव) में भाग लेने आये नीदरलैंड के भारतीय दूतावास के कृषि सलाहकार शिबे शर ने आज यहां पत्रकारों से कहा कि जिस तरह चीन दुनिया की विनिर्माण फैक्ट्री अथवा मैन्युफैक्चरिंग फैक्ट्री है वैसे ही भारत में फूड फैक्ट्री बनने की संभावना है। उन्होंने कहा कि भारतीय किसानों को उचित वित्तीय सहायता तथा सरकार की ओर से नवीनतम जानकारी और दुनिया की सर्वश्रेष्ठ प्रणालियों को अपनाने के लिए प्रेरित कर ऐसा किया जा सकता है। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने यह भी कहा कि नीदरलैंड समेत दुनिया भर की कंपनियां अब चीन की जगह भारत में निवेश को प्राथमिकता दे रही हैं और आने वाले समय में यहां ऐसी बहुत सी कंपनियां निवेश करेंगी।
 
भारत में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में निवेश की भी व्यापक संभावनायें हैं। नीदरलैंड ने 2019 में कुल 100 अरब यूरो का वैश्विक कृषि उत्पाद निर्यात किया है। इसने 10 अरब यूरो का कृषि संबंधी उपकरणों का निर्यात भी पिछले साल किया है। उनके साथ आये दुनिया की अग्रणी कृषि उत्पाद संग्रहण समाधान प्रदाता कंपनी ओमनीवेंट के निदेशक एरौल वॉन ने कहा कि भारत आलू उत्पादन के मामले में लगभग चार करोड़ 80 लाख टन के सालाना उत्पादन के साथ चीन के बाद दुनिया का दूसरा बड़ा उत्पादक देश है पर यहां उचित संग्रहण के अभाव में 35 से 40 प्रतिशत पैदावार खराब हो जाती है। इसके लिए अच्छे बीज और कृषि प्रणाली के इस्तेमाल के साथ ही उचित संग्रहण तकनीक से इसके लगभग 50 प्रतिशत हिस्से को बचाया जा सकता है। खाद्य प्रसंस्करण उपकरण निर्माता अग्रणी वैश्विक कंपनी नीदरलैंड की क्रेमको के निदेशक पॉल ओस्टरलॉकेन ने इस मौके पर संकेत दिये कि उनके देश की कई कंपनियां जल्द ही भारत में अपनी विनिर्माण इकाइयां लगा सकती हैं। गुजरात में कृषि और विशेष रूप से आलू के उत्पादन और प्रसंस्करण के क्षेत्र में देश के अन्य हिस्सों के लिए अनुकरणीय काम हो रहा है।
 
लगभग 38 लाख टन सालाना आलू उत्पादन क्षमता वाले गुजरात में देश भर में प्रति हेक्टेयर 22 टन की तुलना में कही अधिक 38 से 40 लाख टन उत्पादन हो रहा है। उत्तर प्रदेश भले ही सबसे बड़ा आलू उत्पादक राज्य हो पर गुजरात प्रसंस्करण आदि के मामले में उसे भी आगे हैं। उन्होंने कहा कि आलू तथा अन्य मुख्य कृषि उत्पादों के उचित प्रसंस्करण के लिए उत्पादन और संग्रहण शृंखला का भी अच्छा होना बेहद जरूरी है और इसके लिए भारत में बहुत कुछ किये जाने की संभावना है। भारत में उनके देश की कंपनियां इसलिए भी अपने संयंत्र स्थापित करना चाहती हैं क्योंकि यहां तकनीकी तौर पर दक्ष और अंग्रेजी बोलने वाले मानव श्रम की प्रचुरता है। नीदरलैंड में कुल आलू उत्पादन का 70 प्रतिशत प्रसंस्करण योग्य होता है जबकि भारत में यह प्रतिशत मात्र 6 हैं इसलिए इस क्षेत्र में यहां व्यापक संभावनाएं हैं। ज्ञातव्य है कि गांधीनगर के महात्मा मंदिर में कल से 30 जनवरी तक होने वाले ग्लोबल पोटैटो कॉनक्लेव का आयोजन द इंडियन पोटैटो एशोसिएशन ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और केंद्रीय आलू शोध संस्थान ने किया है। इसमें नीदरलैंड की उक्त दोनो समेत कुल 17 कंपनियां शिरकत कर रही हैं। शर ने बताया कि आलू गेहू और चावल के बाद दुनिया में इस्तेमाल होने वाला तीसरा सबसे प्रमुख खाद्य पदार्थ है। वर्तमान में दुनिया भर में 38 करोड़ 80 लाख टन से अधिक आलू का सालाना उत्पादन होता है। 
 
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »