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कर्नाटक विस उपचुनाव पर टिकी सभी की निगाहें

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 22 2019 3:03PM | Updated Date: Nov 22 2019 3:03PM
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बेंगलुरु। कर्नाटक विधानसभा की 15 सीटों के लिए पांच दिसंबर को होने वाले उपचुनाव पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं क्योंकि इन सीटों पर जीते विधायकों के इस्तीफे के कारण ही जनता दल (एस)-कांग्रेस गठबंधन की सरकार गिर गयी और बी एस येदियुरप्पा के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार का गठन हुआ था। चुनाव मैदान में फिलहाल नौ महिला प्रत्याशियों समेत कुल 165 उम्मीदवार हैं जो अपनी-अपनी जीत के लिए एड़ी-चोटी एक किए हुए हैं।
 
राज्य चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया कि 21 नवंबर को नामांकन पत्रों की जांच के बाद 218 उम्मीदवार मैदान में थे जिनमें से 53 प्रत्याशियों ने नाम वापस लेने की अंतिम तिथि गुरुवार को अपना नामांकन वापस ले लिया। के आर पेट और येल्लपुर विधानसभा क्षेत्रों में सबसे कम सात-सात उम्मीदवार हैं जबकि शिवजीनगर और होस्कोटे क्षेत्रों में सबसे अधिक 19-19 प्रत्याशी मैदान में हैं। इन सभी 15 क्षेत्रों में 18.52 लाख महिला मतदाताओं समेत कुल 37.77 लाख मतदाता वोट डालेंगे। मुख्य चुनाव अधिकारी संजीव कुमार ने कहा कि मतदाता सूची को नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि तक अद्यतन किया गया है।
 
उन्होंने इस सूची को उपचुनाव के लिहाज से ‘काफी बड़ा’ बताया। इस चुनाव में पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं की भी अहम भूमिका होगी। पहली बार वोट डालने वाले 18 एवं 19 वर्ष के मतदाताओं की संख्या 79714 है जो किसी भी उम्मीदवार की जीत या हार में निर्णायक भूमिका में होंगे। येल्लपुर  निर्वाचन क्षेत्र में सबसे कम 1.72 लाख मतदाता हैं जबकि के आर पुरम में सबसे अधिक 4.87 लाख मतदाता हैं। सभी क्षेत्रों में कुल 4,185 मतदान केंद्र बनाये जाएंगे जिनमें से 20 फीसदी संवेदनशील हैं। दिव्यांग मतदाताओं के लिए  12 बूथ बनाए जाएंगे जबकि महिलाओं की ओर से संचालित किए जाने वाले 34 सखी बूथ स्थापित किए जाएंगे।
 
तीन को आदिवासी बूथ घोषित किया गया है। गौरतलब है कि कांग्रेस और जद(एस) से जुड़े 17 विधायकों के इसतीफे के कारण दोनों पार्टियों की गठबंधन सरकार गिर गयी थी और सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते भाजपा ने सरकार का गठन कर लिया था। इसी साल 29 जुलाई को 17 बागी विधायकों को विधानसभा के अध्यक्ष रमेश कुमार ने अयोग्य करार दे दिया था और इनके मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने तक चुनाव लड़ने पर भी रोक लगा दी थी। इसी महीने उच्चतम न्यायालय ने विधायकों को अयोग्य करार देने के विधानसभा के अध्यक्ष का फैसला बरकरार रखा, लेकिन कहा था कि अयोग्य घोषित विधायक चुनाव लड़ सकते हैं।
 
इन 17 सीटों में से 15 पर पांच दिसंबर को उपचुनाव होने हैं। मस्की और राजराजेश्वरी नगर सीटों का मामला अभी उच्च न्यायालय में लंबित है, इसलिए अभी यहां चुनाव नहीं होंगे। दो सौ पच्चीस सदस्यीय विधानसभा में अभी बहुमत का आंकड़ा 105 है। लेकिन, उपचुनाव के बाद यह 111 हो जाएगा। ऐसे में सरकार बनाने के लिए भाजपा को छह और विधायकों का समर्थन चाहिए होगा। इसी प्रकार कांग्रेस के पास अभी 66 विधायक हैं जबकि जद (एस) के पास 34 विधायक हैं और इनको मिलाकर विधायकों की संख्या 100 है। ऐसे में सभी की निगाहें उपचुनावों के परिणामों पर भी टिकी हुई हैं। 
 
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