नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा में लापता 3075 श्रद्धालुओं का पता लगाने के लिये देहरादून स्थित वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान को तकनीकी सुझाव पेश करने को कहा है और अदालत ने इस मामले में वाडिया इंस्टीट्यट को नोटिस जारी किया है। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने ये निर्देश दिल्ली के सामाजिक एवं आध्यात्मिक कार्यकर्ता अजय गौतम की जनहित याचिका की सुनवाई के बाद बुधवार को जारी किये हैं। यह जानकारी याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डॉ. अजयवीर पुंडीर ने दी है।
पुंडीर ने कहा कि अदालत ने इससे पहले सरकार एवं याचिकाकर्ता से इस मामले में हलफनामे के माध्यम से तकनीकी सुझाव पेश करने के निर्देश दिये थे। सरकार की ओर से विगत 04 सितम्बर को पेश जवाब में कहा गया कि केदारनाथ आपदा में 3075 लोग लापता हैं और उनका पता लगाने के लिये सरकार के पास किसी प्रकार की विशेषज्ञ तकनीक नहीं है। मलबे के ढेर के नीचे मानव अवशेषों का पता लगाना नामुमकिन है।
उच्च हिमालयी क्षेत्र की खुदाई करने से केदारनाथ के पारिस्थितिकी तंत्र एवं पर्यावरण को खतरा हो सकता है। इसके बाद अदालत ने स्वयं याचिकाकर्ता को इस मामले में तकनीकी सुझाव पेश करने के निर्देश जारी किये थे। याचिकाकर्ता की ओर से आज जवाब पेश किया गया और कहा कि उसके पास ऐसी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है लेकिन वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान देहरादून से लापता श्रद्धालुओं एवं मलबे के ढ़ेर में दबे लोगों के अवशेषों का पता लगाने के लिये तकनीकी सुझाव मांगा जा सकता है। इसके बाद अदालत ने संस्थान को नोटिस जारी कर सुझाव पेश करने को कहा है कि लापता लोगों को खोजने के लिये क्या कदम उठाया जा सकता है।
अदालत ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिये कि वह वाडिया संस्थान को दो सप्ताह के अंदर नोटिस की तामीली करवाये। साथ ही उसे चार नवम्बर तक सुझाव पेश करने को कहा गया है। उच्च न्यायालय ने नवम्बर, 2016 में राज्य सरकार को आपदा में लापता लोगों का पता लगाने के लिये विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का निर्देश दिया था। इसके बाद सरकार ने मई 2017 में शवों को खोजने के लिये विशेषज्ञों के पांच विशेष जांच दलों का गठन किया था। दिल्ली निवासी अजय गौतम ने केदारनाथ आपदा के बाद जून 2013 में एक जनहित याचिका दायर कर न्यायालय से केदारनाथ आपदा में लापता लोगों को खोजने एवं उनके हिन्दू रीति रिवाज से दाह संस्कार करने को लेकर सरकार को आवश्यक निर्देश जारी करने की मांग की थी। इस मामले में अगली सुनवाई 04 नवम्बर को होगी।