जयपुर। राजस्थान ऊर्जा एवं जलदाय मंत्री डॉ. बी डी कल्ला ने कहा है कि प्रदेश में अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षेत्र में निवेश की जरुरत बताते हुए कहा है कि राज्य सरकार सोलर, विंड और बायोमास एनर्जी जैसे अक्षय ऊर्जा के स्रोतों के विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में उपलब्ध आदर्श वातावरण के अनुरूप नई नीति लायेगी। डॉ. कल्ला आज यहां पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 75वीं जयंती के उपलक्ष्य पर ‘राजस्थान इनोवेशन मीट‘ के दूसरे दिन अक्षय ऊर्जा दिवस पर ‘एक्सप्लोरिंग रिन्युअबल एनर्जी पोटेंशियल इन द स्टेट ऑफ राजस्थान‘ विषयक कांफ्रेंस में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि सरकार आने वाले समय में राजस्थान को अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में सिरमौर उत्पादक प्रदेश बनाने के लिए संकल्पित है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अक्षय ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में निवेश के लिए उद्योगपतियों को आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी के सपनों के अनुरूप प्रदेश में प्रदूषण मुक्त इण्डस्ट्री के विकास एवं ग्रीन एनर्जी उप्पादन की दिशा में कार्य किया जा रहा है।
उन्होंने सोलर एनर्जी के स्टोरेज पर भी बल देने की जरुरत जताते हुए ऊर्जा विभाग के अधिकारियों से कहा कि वे इस क्षेत्र में अनुसंधान करे और प्रदेश में सोलर बैटरीज तैयार करने की सम्भावनाओं को भी तलाशें। डॉ. कल्ला ने कहा कि राजस्थान में वर्तमान में अक्षय ऊर्जा उत्पादन की 1600 मेगावाट की प्रभावी क्षमता है। परम्परागत स्रोतों के माध्यम से एक मेगावाट क्षमता के लिए प्रतिवर्ष 3300 टन कोयले की जरूरत होती है। इस प्रकार राजस्थान में अक्षय ऊर्जा से विद्युत उत्पादन द्वारा प्रतिवर्ष लगभग पांच लाख टन कोयले की बचत हो रही है।
इसके कारण लगभग 1.3 लाख टन कार्बन डाईऑक्साईड तथा भारी मात्रा में अन्य हानिकारक गैसों को वातावरण में जाने से रोका जा रहा है। इस मौके वन मंत्री सुखराम विश्नोई ने प्रदेश की परिस्थितियां अक्षय ऊर्जा उत्पादन के लिए अनुकूल बताते हुए कहा कि इन तमाम फायदों को मध्यनजर रखते हुए हर क्षेत्र में अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देकर राजस्थान को अक्षय ऊर्जा का हब बनाएं। उन्होंने अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देकर सतत् विकास के साथ पर्यावरण बचाने में सहयोग करने का आहृान भी किया।