भीलवाड़ा। पर्यावरण एवं वन्यजीव संरक्षण संस्था पीपुल फॉर एनीमल्स की राजस्थान इकाई ने बाघों के लिए प्रसिद्ध राष्ट्रीय पार्क सरिस्का में बाघ एसटी-16 की मौत के मामले में केन्द्रीय जांच ब्यूरों से जांच कराने की मांग की है। पीएफए के प्रदेश प्रभारी बाबूलाल जाजू ने बयान जारी कर टाईगर प्रोजेक्ट चेयरमैन एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इस मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग करते हुए कहा कि सरिस्का में पिछले एक वर्ष में चार बाघों की मौत हो चुकी है और किसी भी अधिकारी को बाघों की मौत का जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है जबकि बाघों की मौत के बाद उनका पोस्टमार्टम कर खानापूर्ति कर ली जाती है। उन्होंने कहा कि पच्चीस वर्ष पूर्व सरिस्का में 35 बाघ होते थे। अधिकारियों के गैर जिम्मेदारीपूर्ण रवैये से बाघों की संख्या कुछ वर्ष पूर्व नगण्य हो गई थी। रणथंभोर से लगातार बाघ-बाघिनों को सरिस्का में छोड़ा गया। सरिस्का में व्यवस्था के नाम पर करोड़ों रूपये भी खर्च करने के बावजूद बाघ-बाघिनों की संख्या बढ़ने का नाम नहीं ले रही है। जाजू ने बताया कि अधिकारियों के हिसाब से आठ शावक बताये जा रहे हैं, जिसमें तीन शावक लापता है।
एसटी-6 कई बार घायल हो चुका है और वृद्ध होने से इसकी स्थिति गंभीर है। सरिस्का में पहले बाघ एसटी-4 एवं एसटी-11 की मौत हुई। एसटी-11 को फंदा लगाकर शिकार किया गया था जबकि बाघिन एसटी-5 फरवरी 2018 से लापता होने से बाद में उसे मृत घोषित कर दिया गया था। इसके बाद अप्रैल 2019 मे सरिस्का में जन्मे तीन शावकों के लापता होने और मौत होने की आशंका की खबरे आई है। नर बाघों की मौत से सरिस्का में बाघ-बाघिन का अनुपात गड़बड़ा गया है। सरिस्का में आठ बाघिनों में तीन बाघ रह गये हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि यह स्थिति अधिकारियों की घोर लापरवाही के चलते हुई। बाघ को बेहोश करने के नाम पर एक के बाद एक ट्रेंकुलाईजर इंजेक्शन दिया गया, जो बाघ के लिए घातक साबित हुआ। सरिस्का में पिछले एक वर्ष में चार बाघो की मौत जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही का कारण है। उल्लेखनीय है कि गत आठ जून को अलवर स्थित सरिस्का में बाघ एसटी-16 की मौत हो गई और बाघ की मौत ओवरडोज ट्रेंकुलाईज से होने का मामला सामने आया था। इस मामले में राज्य सरकार ने सख्ती बरतते हुए इसमें प्रशासनिक जांच के आदेश दिये थे।