पटना। देश के अलग-अलग क्षेत्र में रंगों के त्योहार होली को मनाने की अपनी परंपरा है, जिसमें बिहार में कुर्ताफाड़ होली काफी प्रसिद्ध है। बिहार में पूरे दिन अलग-अलग तरीके से होली खेली जाती है। सुबह 10 से 11 बजे तक कादो-माटी कीचड़ से होली मनाई जाती है। इसमें कीचड़ के साथ गोबर का मिश्रण बनाया जाता है। इसके बाद समय शुरू होता था रंग का, जिसमें दांतों को रंगने की होड़ होती है। रंगने वाला विजेता और जिसका रंगा गया वह पराजित। फिर गालियों का दौर शुरू होता था। समवेत गायन में गालियां गाई जाती है।
रंगों का दौर दोपहर बाद दो बजे खत्म होता है और तब गुलाल का दौर शुरू होता है। बदलते समय में गायन खत्म हो गया है पर कुर्ता फाड़ होली जिंदा है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के आवास पर मनाई जाने वाली कुर्ताफाड़ होली काफी प्रसिद्ध और लोकप्रिय भी है। लालू अपने आवास पर कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ होली खेला करते थे। दरवाजे पर खुद ही लालू ढोल और मंजीरा लेकर गाने बैठ जाते थे। हालांकि इस वर्ष पुलवामा शहीदों के सम्मान में राजद ने होली नहीं मनाने का ऐलान किया है।