चंडीगढ़। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से गठित निरीक्षण समिति ने पंजाब सरकार को समयबद्ध तरीके से नदियों का प्रदूषण रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। समिति ने एक महीने की समय सीमा निर्धारित करते हुये आज कहा कि इस बारे में प्रगति का मूल्यांकन करने के लिए अहम स्थानों पर जाकर जांच की जायेगी। जस्टिस प्रीतम पाल की अगुवाई वाली समिति ने कार्य योजना को समय सीमा में लागू करने को लेकर नोडल विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिये हैं ।
समिति ने कहा है कि नदियों के प्रदूषण को लेकर लापरवाही कतई सहन नहीं की जायेगी । उन्होंने मुख्य नदियों में गंदा पानी डाले जाने वाले स्थानों पर कड़ी नजरÞ रखने के लिए अधिकारियों को कहा है। रावी, ब्यास और सतलुज के लिए कार्य योजना को लागू करने की प्रगति का जायजा लेने के लिए आज यहाँ महात्मा गांधी स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के निदेशालय की ओर से समिति की पहली बैठक हुई ।रावी, ब्यास और सतलुज में प्रदूषण ख़ासकर बुढ्ढा नाला और काली बेईं में प्रदूषण पर रात दिन निगरानी रखने की जÞरूरत पर बल देते हुए चेयरपर्सन ने कहा कि यह स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए गंभीर स्थिति पैदा कर रहा है। राज्य के मालवा क्षेत्र में इसका दुष्प्रभाव देखने को मिल रहा है। मालवा क्षेत्र के कुछ इलाकों में कैंसर तेजी से फैल रहा है । पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव राकेश वर्मा ने बताया कि जनवरी के महीने में 44 सिवरेज प्लांटों की निगरानी की गई जिनमें से 23 नियमों का पालन कर रहे हैं जबकि 21 इसकी उल्लंघना कर रहे थे। इनमें से लुधियाना के बहादरके रोड, फोकल पुआइंट, ताजपुर रोड के अलावा जालंधर का इंडस्ट्रियल यूनिट और लैदर कांप्लैक्स का प्लांट भी शामिल है वर्मा ने बताया कि सतलुज नदी के समीप 445 उद्योगों को ई.टी.पीजा की जरूरत है जिनमें से 44 उद्योगों की निगरानी की गई।
इनमें से 27 नियमों का पालन कर रहे हैं जबकि 17 इसका पालन नहीं कर रहे हैं। विभाग ने नियमों की पालना न करने वाली आठ इकाइयों के विरुद्ध कार्यवाही की है । उनको सील /बिजली आपूर्ति काटी गई है। एक इकाई को बंद किया गया है। तीन इकाईयोँ को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है और पाँच इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने बताया कि पर्यावरण विभाग ने ब्यास, सतलुज और घग्गर के अलावा वायु प्रदूषण के बारे में व्यापक कार्य योजना तैयार की है। नदियों में दूषित पानी के कारण हो रहीं गंभीर बीमारियों पर चिंता प्रकट करते हुए प्रसिद्ध पर्यावरणविद् संत बलबीर सिंह सींचेवाल ने कहा कि वॉटर एक्ट की घोर उल्लंघनाएं हो रही हैं। कोई भी सार्वजनिक हितों के मद्देनजरÞ निर्धारित नियमों का पालन नहीं करता। उन्होंने बताया कि काला संघियां से ड्रेन के किनारे पर गाँवों के लोगों की सेहत पर प्रदूषण से बुरा प्रभाव पड़ रहा है।