रियो डी जेनेरियो। भारत के देवेंद्र झाझरिया ने रियो पैरालिंपिक खेलों में बुधवार तड़के इतिहास रच दिया। देवेंद्र ने पुरुषों की भाला फेंक एफ-46 स्पर्धा में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाते हुए स्वर्ण पदक जीता। यह उनका पैरालिंपिक खेलों में दूसरा स्वर्ण पदक है। उन्होंने इससे पहले 2004 के एथेंस पैरालिंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीता था।
तोड़ा खुद का वर्ल्ड रिकॉर्ड
राजस्थान के चुरू जिले के देवेंद्र ने 63.97 मीटर जैवेलिन फेंककर 2004 के एथेंस पैरालिंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर बनाए अपने 62.15 मीटर के वर्ल्ड रिकॉर्ड को तोड़ दिया। वर्ल्ड नंबर दो भारत के सुंदर सिंह गुर्जर ने स्पर्धा में हिस्सा नहीं लिया। दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी चीन के चुनलियांग गुओ 59.93 मीटर के साथ रजत पदक जीत पाए।
पीएम मोदी ने दी बधाई
पीएम मोदी ने देवेंद्र झाझरिया को इस जीत पर बधाई दी है। मोदी ने ट्वीट कर कहा कि हमें आप पर गर्व है। 12 साल पहले 2004 एथेंस पैरालंपिक में भी देवेंद्र ने गोल्ड जीता था। इस गोल्ड मेडल के साथ ही रियो पैरालंपिक में भारत के कुल पदकों की संख्या 4 हो गई है, जिसमें 2 गोल्ड, एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज है।
देवेंद्र से पहले हाई जम्प में मरियप्पन थंगावेलु ने गोल्ड और वरुण सिंह भाटी ने ब्रॉन्ज मेडल जीता। दीपा मलिक ने एक दिन पहले शॉटपुट में सिल्वर जीता था। श्रीलंका के हेराथ प्रियंथा (58.23 मीटर) ने कांस्य पदक जीता। यह रियो पैरालिंपिक खेलों में भारत का चौथा पदक है।
करंट लगने से काटना पड़ा था देवेंद्र का हाथ
35 साल के देवेंद्र राजस्थान के चुरू के रहने वाले हैं। राजस्थान के चूरू जिले के रहने वाले देवेंद्र झाझरिया ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा था कि वह जब आठ साल के थे तब एक बार गांव में पेड़ पर चढ़ रहे थे। तभी उनका हाथ बिजली के तार से लगा। 11000 वॉल्ट के बहते करंट के कारण पूरा हाथ झुलस गया। डॉक्टरों ने बहुत कोशिश की लेकिन दायां हाथ बाद में काटना पड़ा।