नई दिल्ली। भारत को इससे पहले दो ओलिंपिक में पदक दिलाने वाले सुशील कुमार इस बार रियो आलिंपिक में शामिल नहीं हो पाएंगे। दिल्ली हाई कोर्ट ने नरसिंह के साथ ट्रायल के लिए लगाई गई सुशील कुमार की याचिका सोमवार को खारिज कर दी है।
याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट तब तक रेसलिंग फेडरेशन के अधिकार क्षेत्र में दखलंदाजी नहीं करेगी जब तक उसमें किसी तरह की मनमानी या फिर अनुचित व्यवहार नजर नहीं आता। अदालत ने आगे कहा कि रेसलिंग फेडरेशन ने खिलाड़ी के चयन के लिए पारदर्शी तरीके का उपयोग किया था। वादी का यह तर्क की ट्रायल कई महीनों पहले हुआ था और इसलिए यह तर्कसंगत नहीं है यह स्वीकार्य नहीं है।
अदालत के इस फैसले के बाद अब माना जा रहा है कि सुशील कुमार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। लेकिन लगातार दो ओलंपिक में पदक जीतने वाले इस महान पहलवान के करियर पर इस कानूनी लड़ाई के बाद विराम लग सकता है। ओलंपिक में दो माह ही बचे हैं, लिहाजा सुशील की डगर लगभग नामुमकिन लग रही है। दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को पिछली सुनवाई में साफ संकेत दिए थे कि वह भारतीय कुश्ती संघ (डब्ल्यूएफआइ) के पक्ष में फैसला सुनाएगा।
न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा था, समस्या यह है कि खेल आचार संहिता में कही नहीं लिखा है कि ट्रॉयल अनिवार्य है। इसने संघ को चयन प्रक्रिया तय करने की छूट दी है। नरसिंह (74 किग्रा) ने पिछले साल लॉस वेगास में विश्व चैंपियनशिप में कांस्य कांस्य पदक जीतकर भारत के लिए कोटा हासिल किया था। संघ का भी कहना है कि रियो नरसिंह को ही भेजा जाएगा क्योंकि कोटा उसे मिला है। वहीं, सुशील ने चयन ट्रायल की मांग की है। 33 वर्षीय सुशील चोट के चलते पिछले वर्ष अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भाग नहीं ले पाए हैं।