नई दिल्ली। इस सप्ताह शेयर बाजारों की दिशा मैक्रोइकोनॉमिक डाटा, रुपए की चाल एवं वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों से तय होगी। ऐसा विशेषज्ञों का मानना है। बता दें कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने लगातार दो समीक्षा बैठकों में ब्याज दरों में वृद्धि करने के बाद गत शुक्रवार की समीक्षा में इसे अपरिर्वितत रखा। हालांकि, कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने और मुद्रास्फीति दबाव के कारण ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी की उम्मीद थी।
बॉन्ड बिक्री और जोखिम बढ़ने का दिखा असर
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर का कहना है कि गुणवत्ता में गिरावट के बाद बॉन्ड बिक्री और जोखिम बढ़ने का असर शेयर बाजार पर पड़ा है। बाजारों में कमजोरी की धारणा उस समय तक बनी रहेगी, जब तक वित्तीय बाजारों में स्थिरता नहीं आती है।
HDFC सिक्युरिटीज के PCG और कैपिटल मार्केट स्ट्रेटजी के प्रमुख वी के शर्मा के मुताबिक, जहां तक आर्थिक आंकड़ों का सवाल है, अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) इस सप्ताह वैश्विक आर्थिक स्थिति से जुड़े हालिया आंकड़े पेश करेगा। बृहस्पतिवार को अमेरिका के मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी होंगे।
यथास्थिति रहने पर शॉर्ट टर्म रेट्स रहेंगी नरम
कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी की मुख्य निवेश अधिकारी (कर्ज) और उत्पाद प्रमुख लक्ष्मी अय्यर ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों, वैश्विक ब्याज दरों और दुनिया में कारोबार से संबंधित घटनाक्रमों के कारण चिंता की स्थिति है। यथास्थिति रहने पर अल्पावधि दरों में नरमी रहने और लॉन्ग टर्म यील्ड्स के एक दायरे में रहने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि मैक्रोइकोनॉमिक आंकड़ों पर नजर रखने की जरूरत है, इसके साथ ही भारतीय रुपए और कच्चे तेल की कीमतों से आगे बाजार की दिशा तय होगी। बता दें कि बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स पिछले सप्ताह 1,850.15 अंक की भारी गिरावट के साथ शुक्रवार को 34,376.99 अंक पर बंद हुआ था।